Ankit Singh Rajput   (कृनिल "कलरव")
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Joined 15 July 2020


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15 JUN 2022 AT 15:14

🥗चाहने के लिए एक ही चेहरा काफी है मुंह मारने के लिए पूरा शहर भी कम है🥗

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14 JUN 2022 AT 12:10

भाव के भाव को बता दे सनम.. तो तेरे अकड़ के भाव को खरीद लू..

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13 JUN 2022 AT 17:56

समंदर से..भरी..नैनों..में..अश्रु..मोतियों से भरी..झील..को, ..जोड़े..हूँ..
हर..बार..रुठें..को मनाऊं कैसे, जिरह करने..वाला..वकील..थोड़े..हूँ.. ✍️.................

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10 JUN 2022 AT 6:05

बर्दाश्त की सीमा को पार कर जाना कितना सरल है
कोई बात नहीं, बह जाने दो प्रेम की धारा जो अविरल है,

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18 JUN 2021 AT 7:15

अगर ब्रेक अप हुआ है तो परेशान ना हो🙅‍♂️
क्योंकि हनुमान चालीसा में भी लिखा है कि
"छूटहिं बंदी महा सुख होई"

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13 JUN 2021 AT 21:11

लफ्जों की शुरुआत जिन शब्दों से होती हैं,
उसका परिणाम कटु और प्रेम से होकर जाती हैं!!

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26 APR 2021 AT 22:33

बहूत मन..करता है तुझसे आंख मिलाने की अफ़सोस
तेरी हरकतों से तुझे नजर अंदाज कर देता हू!!

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2 MAR 2021 AT 7:14

मुझे तुमसे प्यार था
इसका मतलब ये नहीं कि हरबार था
बीते कल का मैं अखबार था
तेरे नजरों से खबरदार था
फिर भी नहीं हकदार था!
तेरा प्यार था पहली बार था!


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1 MAR 2021 AT 23:13

तुम मेरी बनो या ना बनो इससे फर्क नहीं हमें
चाहत को बनाए रखना इतना ही काफी है

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26 FEB 2021 AT 6:43

बिस्तर पर लिपटने वाले तो बहूत से मिल जाएगें....
मजा तो तब है जब कोई भरे बाजार में सीने..से लगा ले..

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