वो हमें अच्छा समझता होगा या फिर खराब समझता होगा ,
कौन जाने इन कड़वे आंसुओं को वो शराब समझता होगा।
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▪कॉलेज
▪और फिर
▪सिविल सर्विसेज ☺
▪अब लिखने भी लगा हू
28/12 🎂
▪आधा सच,आधा झूठ ❤
▪और कुछ बस... read more
स्वार्थी जिंदगी विरोधियों को जनम देती है ,
और परोपकारी जिन्दगी द्वारा ज़नाजे तक पहुंचा जा सकता है ।-
दुख और सुख के समय तर्क देने वाले लोग ,
समाज निर्माण की पहली शर्त है ..-
बेपरवाह एहसान किये जा रहा हूं इस ज़िन्दगी में फिलहाल ,
अगले जनम मैं फकीर होना चाहता हुँ ..-
फर्क करो अंगारो और चरागो के धुएं में ,
यकीनन हर जलन इक जैसी नही होती .-
सरे- आम ऊँचाइयों का ख्वाब देखने वाले ,
और फिर भीड़ में कहीं शराब देखने वाले ।
एक तुम जैसे कोई सज्जन पुरुष ,
और फिर हम दुनिया को खराब देखने वाले ।-
जब जीवन में कुछ ना बन सको तो वृक्ष बन जाना तुम . .
(शेष अनुशीर्षक में पढ़े ...)-
क्यूँकी ,
कल्पनाएं स्वार्थ-परक होती है ;
इसलिये तुम्हारे लिये मेरा प्रेम इस संसार में और उसके बाहर अगर कोई संसार है तो वहां ,
किसी भी व्यक्ति द्वारा की गयी किसी भी कल्पना से परे है l-
एक रोज उसे बारिशों में याद करके कुछ इस कदर भिगाया जायेगा ,
फिर अश्क इन आंखो के रोक करके उसे उसकी यादों से सुखाया जायेगा।
सुना है बड़ा बेफिकर सडकों पर घूमता फिर रहा है आजकल ,
जिन्दा हूँ अभी , मरा नही हुँ उसे इस बात का एहसास कराया जायेगा ।-
कि एक रोज पानियों में जब कहीं सफर कर रहा होउँगा ,
तुम्हे याद कर रहा होउँगा तुम्हारी कदर कर रहा होउँगा।
अकेलेपन की उस चरम सीमा पर पहुंच कर के
उस जल मछली से तुम्हारा जिकर कर रहा होउँगा ।-