◆◆◆ऐ ज़िन्दगी✍️✍️✍️
लिखु क्या आज वक्त का तकाजा हेैं
कौन से लफ्ज़ में मैं दर्द की सदा लिखूं
जाने कैसी नजर लगी ज़माने की
अब वजह मिलती नही मुस्कुराने की
जहर देता हैं कोई कोई दवा देता है
जो भी मिलता हैं मेरा दर्द बढ़ा देता हैं
हँसकर कबूल क्या कर लीं सजाएँ मैंने
ज़माने ने दस्तूर ही बना लिया
हर इलज़ाम मुझ पर लगाने का
मेरी आँखों में छुपी उदासी को महसूस तो कोई करे
हम वह हैं जो सब को हंसा कर रात भर रोते हैं
चलो अब जाने भी दो, क्या करूँगा दासता सुनाकर
ख़ामोशी कोई समझेगा नहीं, और बयां हमसे होगा नहीं
ऐ ज़िन्दगी काश तू ही रूठ जाती मुझ से
ये रूठे हुए लोग मुझ से मनाये नहीं जाते-
◆◆◆कभी दो हमें भी यह मौका✍️✍️✍️
कभी दो हमें भी यह मौका
सजदे में तेरे झुक जाएं हम, लेके हाथ तेरा हाथों में
प्यार की चूड़ियाँ पहनाएं हम
कभी दो हमें भी यह मौका, कभी दो हमें भी यह मौका
ज़ुल्फों की छाँव में रहने का, तेरे कानों में गुफ़्तगू कहने का
कभी दो हमें भी यह मौका, कभी दो हमें भी यह मौका
होठों से होठ मिलाने का, तेरी बाहों में सो जाने का
रात में तेरे ख्वाबों में जी लेने का
कभी दो हमें भी यह मौका, कभी दो हमें भी यह मौका
शाम के एहसास का, गहरे से जज़्बात का, आँखों में डूब जाने का
कभी दो हमें भी यह मौका, कभी दो हमें भी यह मौका
नज़्म में तुझको दिल दे जाने का, ग़ज़ल में तेरे गीत गुनगुनाने का
सुरों की ज़िन्दगी में तेरे शामिल हो जाने का
कभी दो हमें भी यह मौका, कभी दो हमें भी यह मौका
ज़िन्दगी की मुकम्मलता का दुल्हन बन के तुम मेरे घर आजाने का
सुहाग की सेज पर हमको प्यार जताने का
कभी दो हमें भी यह मौका, कभी दो हमें भी यह मौका
सुबह आँख खुले तो तेरे दीदार का, बाहों में सुलगते से जिस्म का
मांग में तेरी सिन्दूर भर देने का
कभी दो हमें भी यह मौका, खुदको जता देने का
अपना प्यार दिखाने का, कभी दो हमें भी यह मौका-
◆◆◆तुमसे रौशन मेरी ज़िन्दगी है✍️✍️✍️
चारों तरफ उजियारा है
खुशियों का आज भंडारा है
जैसे दियों से रौशन दीपावली है
वैसे तुम से रौशन मेरी ज़िन्दगी है
तुम साथ हो तो क्या बात है
प्रेम में रंगे मेरे जज़्बात हैं
जब से तुमने मेरा हाथ थामा है
तब से दिल मेरा दीवाना है
आज मैं सिर्फ एक दुआ करता हूँ
तुम्हारी दीर्घ आयु की मंगलकामना करता हूँ
खुश रहो तुम सदा मेरे हमसफ़र
साथ में बीते ये ज़िन्दगी का सफर-
◆◆◆ऐसा लगा✍️✍️✍️
क्यों ऐसा लगा मैंने उसे देखा
क्यों ऐसा लगा मैंने उसे सोचा
रातें ये दिन सिर्फ उसकी यादों में खोए रहते हैं
पर इक खामोशी की चादर में छुपकर सोए रहते हैं
न दिखाते हैं चेहरा अपना
आंसू भी इनकी आँखों में ख्वाब पिरोए रहते हैं
आज उसकी यादें कुछ कहना चाहती हैं
मरे इन सपनों को अपना बनाना चाहती हैं
हो सकता है देख रहा होऊंगा सपना
पर एक वही है जो लगती है अपना
प्यार तो बहुत है उससे पर ज़िकर करना नहीं आता
याद तो बहुत आती है वो पर दिखाना नहीं चाहता
आज उसकी आंखें दिल में बसना चाहता हैं
उसकी ये बातें मुझसे कुछ कहना चाहती हैं
हाँ, उनकी बातें बुरी लगती हैं मुझे
पर प्यार वो ताकत है
जिससे जुदा होके जिया नहीं जाता
शायद जिया नहीं जाता...-
◆◆◆वक़्त✍️✍️✍️
वक़्त के भी अजीब किस्से हैं...
किसी का कटता नहीं और किसी के पास होता नहीं
वक़्त नहीं ज़िन्दगी बदलती है वक़्त के साथ
वक़्त नहीं बस अपने बदलते हैं वक़्त के साथ
वक़्त दिखाई नहीं देता है पर, बहुत कुछ दिखा देता है
अपनापन तो हर कोई दिखाता है पर अपना कौन है ये वक़्त दिखाता है।
वक़्त बड़ा अजीब होता है
वक़्त के साथ चलो तो किस्मत बदल देता है
और न चलो तो किस्मत ही बदल देता है।
अगर किसी को कुछ देना है तो उसे अच्छा वक्त दो
क्योंकि आप हर चीज़ वापिस ले सकते हो
मगर किसी को दिया हुआ अच्छा वक्त वापिस नही ले सकते।
किसी भी मनुष्य की वर्तमान स्थिति देख कर
उसके भविष्य का मज़ाक मत उड़ाओ
क्योंकि वक़्त में इतनी शक्ति है कि
वो एक साधारण से कोयले को भी हीरे में बदल देता है।
देर से बनो पर जरूर कुछ बनो क्योंकि
वक़्त के साथ लोग खैरियत नहीं हैसियत पूछते हैं।
ज़िंदगी मोहताज नहीं मंज़िलों की, वक़्त हर मंज़िल दिखा देता है।
वक़्त के साथ ज़ख्म नहीं भरते, वक़्त सबको जीन सिखा देता है।
कुछ सवालों के जवाब सिर्फ वक़्त ही देता है और
यकीन मानिए वक़्त के जवाब लाजवाब होते हैं।
हक़ीक़त तो यह है कि उससे सहने की शक्ति बढ़ जाती है।-
◆◆◆ओ कान्हा✍️✍️✍️
चल पड़े थे कई विचारों के मंथन संग
बह गए थे अनजान एक बहाव से हम।
न आसमां दिख रहा, न जमीं दिख रही थी
न ही एहसास कोई, न ही मन में कमी थी।
एक सूनापन छा गया सब ओर था
सोच-सोच घबरा-से गए हम।
फिर भी कैसी थी शक्ति व कैसी पिपासा
ज्ञान के चक्षुओं में आस की एक लौ थी।
वो सपने सुनहरे भविष्य के हमने
किस आस पर किस सहारे पे देखे।
वो शक्ति वो प्रेरणा आपकी थी
एक हारे हुए मन का बल आपसे था।
ओ कान्हा! जब-जब मेरा मन हारा
तब-तब तुमने भरा जोश व दिया सहारा।
इन चक्षुओं की प्यास बन तुम आ गए
गम के मारों के गम सभी पिघला गए।
टूटा था मन मेरा जोड़ दिया कान्हा
आशा की इक ज्योत जला दी न।
सकल विश्व में पूर्ण पुरुषोत्तम
इक तुम ही तो हो मेरे कृष्ण-कन्हैया!-
◆◆◆काश काश काश✍️✍️✍️
काश लोग समझ पाते केवल अगर वे उन कार्यों के परिणाम को जानते।
वास्तव में, यह उस क्षण को समाप्त करता है जिस पल सब छोड़ देते हैं।
मैं अपने विचारों के साथ फिर से जा रहा हूँ
मैं ऐसी चीजें देखता हूं जो दूसरों को नहीं दिखतीं
मुझे वह सब कुछ याद है जो एक दिन में होता है
अपनी घर में वापस, मैं निराश महसूस करता हूं
नकली दोस्त, असली दुश्मन सभी एक में, सभी में कोई नहीं
क्या यह विश्वासघात और ह्रदयघात है, या दर्दनाक क्रियाएं और आहत करने वाले शब्द, शायद निराशा और विफलता या पछतावा और जटिलताओं या रातें और उदास अनुभव, कभी-कभी भयानक अतीत, शायद ही कभी डरावना भविष्य।
मैंने आशा के विरुद्ध विश्वास किया
हर दिन को ऐसे जिया जैसे यह कोई चमत्कार हो
मैं अकेला महसूस करता हूं फिर भी मैं अकेला नहीं हूं
मैं खालीपन महसूस करता हूं फिर भी मैं रोज भर रहा हूं
मेरी खालीपन का परिणाम अपने आप में एक अंत है
मैं इस असहज यात्रा पर चल पड़ा
हालांकि क्रूर लेकिन मैं वह हासिल करूंगा जो मैं चाहता हूं
मुझे इसका एहसास हो गया है क्योंकि मैं किसी की खुशी का हकदार नहीं हूं....-
◆◆◆तेरे द्वार पे✍✍✍
राहत के कुछ पल मैं, तेरे चरणों में पाता हूँ
आके तेरे द्वार पे, सारे गम भूल जाता हूँ
रहती ना कोई ख्वाहिश मेरी, ना मन में कोई इच्छा
आंसू की बस बहती धारा, निर्मल है ये मन मेरा
शब्दों का ना कोई जाल है, ना बोली की पहचान
बिन कहे मेरे मन को जाना, ऐसा है मेरा भगवान
करुणा पल पल गहरी होती, मन में कोई दुविधा ना राहती
उसने पथ दिखाया है, पथ पे पल पल बढ़ता जाता
हर जगह बस प्रभु को पाता, दीनबंधु वो करुणा निधन हैं
राहत के कुछ पल मैं, तेरे चरणों में पाता हूँ
आके तेरे द्वार पे प्रभु, मैं खुद को पा जाता हूँ
आके तेरे द्वार पे हे प्रभु, मैं खुद को खुद से पा जाता हूँ|-
◆◆◆माँ का आंचल✍✍✍
अपने आंचल की छाओं में, छिपा लेती है हर दुःख से माँ
एक दुआ दे दे तो काम सारे पूरे हों…
अदृश्य है भगवान, ऐसा कहते है जो…
कहीं ना कहीं एक सत्य से, अपरिचित होते है वोह…
खुद रोकर भी हमें हसाती है माँ…
हर सलीका हमें सिखलाती है माँ…
परेशानी हो चाहे जितनी भी, हमारे लिए मुस्कुराती है माँ…
हमारी खुशियों की खातिर दुखो को भी गले लगाती है माँ…
हम निभाएं ना निभाएं अपना हर फ़र्ज़ निभाती है माँ…
हमने देखा जो सपना सच उसे बनती है माँ…
दुःख के बादल जो छाये हमपर तो धुप सी खिल जाती है माँ…
ज़िन्दगी की हर रेस मे हमारा होसला बढाती है माँ…
हमारी आँखों से पढ़ लेती है तकलीफ और उसे मिटाती है माँ…
पर अपनी तकलीफ कभी नही जताती है माँ....
शायद तभी भगवान से भी ऊपर आती है माँ…-
◆◆◆जय हनुमान – जय श्रीराम✍✍✍
चरण शरण में आयें के, धरु तिहारो ध्यान
संकट से रक्षा करो, हे महा वीर हनुमान
अर्ज़ मेरी सुनो अंजनी के लाल, काट दो मेरे घोर दुखों का जाल
तुम हो मारुती-नन्दन, दुःख-भंजन, करूँ मैं आपको दिन रात वन्दन
प्रभु मुझ पर दया करना मैं तो आया हूँ शरण तिहारी
तेरी प्यारी सी मनभावन मूरत जब-जब देखूं मैं जाऊं बलिहारी
सदा पूरी तुम मेरी हर इक आस करना
हनुमान बाबा मुझे न निराश करना
तेरी भक्ति से आत्मा को मिलता आराम है
बजरंगी तेरी पूजा से हर काम होता है
दर पर तेरे आते ही दूर अज्ञान होता है
राम जी के चरणों में ध्यान होता है
हाथ जोड़कर करू विनती प्रभु राखियो मेरी लाज
इस डोर को यु ही बांधे रखना मेरे वीर बजरंगी महावीर
“जय हनुमान – जय श्रीराम”
हनुमान जयंती की हार्दिक बधाई-