कभी वो रूठा था, तो मनाने गए थे हम उसे
और आज हम उदास हुए, तो पास भी नहीं आया वो मेरे-
पंडित का बेटा
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शुरूआत में वो कहता था मुझे
कि कोई जानता नहीं है मुझे, उसके सिवा
कई महीनों बाद आज उसी ने कहा
कि बहुत कुछ जान गए हो मेरे बारे में-
जला देना चाहिए,
पहले ही दीवार इश्क की
बाद में यह ना रहे
तो जीने में आसानी बहुत होती है-
बहुत बनने लगी है तुमसे
कहीं दूर तो नहीं जाओगे ना
रुक तो पिछली बार भी गए थे मेरे कहने पर
इस बार भी कहने पर रुक जाओगे ना-
उनके पास याद करने वालों की कमी नहीं है
जो आजकल हमारा होने का दावा करते है-
अगर सिर्फ मान लेने से गलतियां,
मिल जाती माफी
तो कभी किसी अपने को खुद से दूर न जाने दिया होता-
मांग लूं माफी और बुला भी लूं पास उसे
बस दिक्कत अब एक ही है
कि मुझसे ज्यादा वो किसी और को सुनने और समझने लग गए हैं-
सोच लेना कुछ भी कहने से पहले
तुम्हारी कही हुई एक ही बात मुझे तुमसे बहुत दूर ले जा सकती है-
नींद भी नहीं आती है मुझे उसके बिना
और बात मैं हमेशा उसे छोड़कर जाने की करता हूं-
माफीनामें का खत लेकर, हम खड़े रहे उनके द्वार पर
वो ईतना बेरहम हो गया है, कि दरवाजा तक नहीं खोलता-