बिन आग के जल कर
और डुब कर बिन पानी के
गालिब बन जाता जिन्दा लाश
बिन मेहनत से अधुरी आरजू के।
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इक सवाल पूछा मैने अपने कल से
की गलती कहा हुइ मुझसे।
जवाब आया की
तु गलती करने को तैयार नही था।-
तन्हाई को तस्वीर में उतारने चला जो मैं
किरमिच रंगो को ही इनकार करता रहा।
फिर थक हार कर गीतों से बयां करना चाहा
तो सुर रूठ चले।-
millions possibility of finding a way out of problem, just like they all twinkle in the dark
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यहां कोशिशों के सिलसिले थम नहीं रहे
और वो जश्न पे जश्न मनाए जा रहे हैं।
की यह सूई की सुराख बंद सी हो गई है
और वो अदाकार बुनकर बने जा रहे है।-
दिन भर के बारे में,
कभी ठहरना भी होता है।
क्यों सिसकते रहते हो
मुस्कुराते मुखौटे के पीछे,
कभी सब कुछ छोड़ना भी होता है।-
की आज से समझौता कर ले
कल खुशमिजाज गुजरेगा।
और हम जिंदगी को समझा रहे
की हम बड़े ढीठ है,
तुम्हे संवारने के फेर में खुद को जला बैठे है।-
की ठहरेंगे उस पार के परिंदे यहां।
साहब, यहां हर एक चीज मतलब
के तराजू में जो तोली जाती है।-
because the ink of emotion dried
off from the pen of life,
because the title of the storyteller
took a toll on me
because the papers afterward seems
to be crumbled into pieces
because there is no SHE in it.
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