मौसम शौक़ इरादा कर लूं!
तुझसे तुझ तक वादा कर लूं!
गिनु फरेब नयन के सारे।
इश्क़ इबादत ज्यादा कर लूं!
देखूं मैं रोज दिखावे सारे।
दिल तुझको दूं और सादा कर लूं!
गिरु गुरूर को आधा कर लूं!
तुम श्याम- श्याम मैं राधा कर लूं!
मौसम शौक़ इरादा कर लूं...
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लिखता हूं क्योंकि ये लिखाता है 🙏🤲
पर मुझे सच में कुछ ... read more
पैदा होकर किसी घर विशेष।
किसी जात कबीले मजहब में।
जीवन भर जी लेना वैसा।
बस इंसाँ होकर मर जाना...
यहां है समाज सिखला देगा।
ये छोटे बड़े की बात सभी।
तुम सीखना पूरी उमर यही।
बस इंसाँ होकर मर जाना...
रखना डर चार लोगो का।
बस ईश्वर को तुम बिसराना।
फिर बनकर औंधेदार कभी।
बच्चों को तुम ये सिखलाना।
बस इंसाँ होकर मर जाना...-
नयन नक्श के तेज से तेरे।
रात को नूर मिला है।
देख देखकर डूब रहा।
सागर भरपूर मिला है।
तुमसे सुंदर और भला होगा तो क्या होगा?
तुझको रचकर रचनहार को गुरूर मिला है।
...
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ये निगाहों का खेल,ज़बानो का फेर,उन्हें खूब आता है।
हमें क्या? आखिर हमारा दिल ही जाता हैं।
सोचते रहते है रातों दिन जिन्हें ऐसे।
उनसे सब कहता उन्हीं से सब छिपाता है।
जिस्म की हद है जहाँ तक उससे भी आगे...
रूहदारी उनसे है,रूहों का नाता हैं।-
तू होगी तो वजह कोई खास नहीं होगी।
देर रात या सर्द सुबह...फिर कही बरसात रही होगी।
बैठ जायेंगे भुलाकर पास तेरे सब कुछ!
क्या वो मिलने की चाहत? वो आस नहीं होगी!
तू होगी तो वजह कोई खास नहीं होगी...-
इक नहीं चलती मेरी! इक तू चलाया कर...
साथ रहता है तू पल-पल याद आया कर!
मेरी मर्जी कर दे तू अपने मुताबिक ही।
तू करे सब कुछ...मुझे आराम लाया कर!
ये करिश्मा है तेरा...है इनायत वो तेरी!
सोच पाऊं! तो यही खयालात लाया कर।
मुझमें भी भर दे रज़ा... जो ठीक समझे तू।
ठीक ही होता... तू ये विश्वास लाया कर।-
इंदुवत मुख मंडल आभा।
लाली चेहरे की जैसे कमल।
हैं नयन संजीवनी दुर्लभ से।
कंचन- कंचन सा तन कोमल।
तुम कलश किशोरी यज्ञ प्रिये।
तू नित-नित गीत है सावन का।
मैं तेरे सुर का हूं करतल।
तू प्रीत की रीत है मधुबन सी।
महके कस्तूरी सी तू प्रिये।
झरने जैसी कल कल बहती।
वर्षा की बूंदों सी निश्छल।
तू चंचल है मन के जैसी।
जैसे हो वेग में पवन प्रिये।-
दिल को दिल कहना आसान नहीं।
जब तलक इश्क़ का इरफ़ान (ज्ञान)नहीं।
ये पाना नफा,वो खोना कोई नुकसान नहीं।
जब तलक फ़र्ज़ की पहचान नहीं।
दिल को दिल कहना इतना भी आसान नहीं...
किसी हसरत को मिटाए जो कहीं।
किसी चाहत पे फिर इलज़ाम नहीं।
सादगी से बेहतर कोई ऊंचा और मुकाम नहीं।
दिल को दिल कहना इतना भी आसान नहीं...-
तुम्हे चाहने की मेरी ये अदा हो।
घूमकर सारी दुनिया,दिल ये तुमपर फिदा हो।
तुम्हें क्यूं है रहना मेरी कैद में ही?
तुम्हे जो पसंद वो तुम्हारा सदा हो।
~चनप्रीत
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