निदा फ़ाज़ली का एक शेर है ....
नयी नयी आँखें हो तो हर मंज़र अच्छा लगता है ।
कुछ दिन शहर में घूमे, लेकिन अब घर अच्छा लगता है ॥
हमने भी सो कर देखा है नये पुराने शहरों में ।
जैसा भी है अपने घर का बिस्तर अच्छा लगता है ॥-
Añkît S. Rãthäûr
(अंकित राठौर)
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मैं शायर तो नहीं ।
Joined 18 April 2018
27 DEC 2022 AT 20:41
30 NOV 2022 AT 9:33
के लहू के थे जो रिश्ते उन्हें छोड़ के आ गये ,
के लहू के थे जो रिश्ते उन्हें छोड़ के आ गये ॥
सुकून आखों के सामने था मुँह मोड़ के आ गये ,
और ख़ज़ाने लुट रहे थे माँ बाप की छाओं में ,
ख़ज़ाने लुट रहे थे माँ बाप की छाओं में ,
हम कौड़ियों के ख़ातिर घर छोड़ के आ गये ॥-
12 FEB 2022 AT 20:31
Not how long , but how well you have lived is the main thing.— % &
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31 JAN 2022 AT 12:30
To pass a course in College, you only need ;
Books, Notes, and friends.— % &-
6 JAN 2022 AT 15:15
If you carry your childhood with you , you never become older.
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