अपनो के बदलने का दुःख नहीं है मुझको
में तो आपने यकीन पर शर्मिंदा हूं-
रास्ते मे इतने काटे ना बिछा ए ज़िन्दगी
कि मैं रास्ता बदलने में मजबूर हो जाऊं
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ये जिंदगी का सफर खत्म कब होगा,
दुखो का ये सैलाब खत्म कब होगा,
थक चुका हूं मैं इस तन्हा सफर मे,
जीत लू हर बाज़ी ये मुमकिन कब होगा
ये मुमकिन कब होगा।।-
जिन्हें आप आज अपना हमदर्द समझ रहे हैं
वो कभी मेरे भी हमदर्द हुआ करते थे
और आपकी ही बुराई करते थे-
जलने वालो पर आज
घी,चावल और काली तिल
मिलाकर डालो
और बोलो
स्वाहा
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शाम से वो उदास रहे
लेकिन सोते तक
उसके चेहरे पर
मुस्कान आ जाए तो
दिल को सुकून बहुत मिलता हैं
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डूबते डूबते किनारे पर अकेला पहुँचा
फिर उसने किनारे में बहुत लोगो को खड़ा पाया
फिर उम्मीद जागी कि कोई हाथ बढ़ाएगा
फिर हाथ ना किसी ने आगे बढ़ाया
फिर उम्मीद टूटी और बेचारा डूब गया
काश उम्मीद ही ना रखता तो आज होता-
वक़्त के भी अजीब किस्से हैं
किसी का कटता नही
और
किसी के पास होता नही-