दीदी थी आपके आँख का तारा
मै थी आपका चांद सा तुकडा प्यारा
और आप थे पापा हमारा ब्रह्मांड सारा...
सोने सा दिल था आपका
थी पितळ सी वाणी
आपके बिना अधुरी सी है मेरे जीवन कि हर कहाणी...
और क्या कहू आपके बारे मे
शब्ध कम पड जाते है
आपकी याद मे नैना भी बादल से बारस जाते हैं...
क्यू दूर हुए आप हमसे ये खयाल आता हैं
शायद यहि उसूल हैं दुनिया का तभी तो,
गौरी का लाल भी तो दस दिन रहकर
अपने घर वापिस लोट जाता हैं...
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