Ankit Parsutkar  
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Joined 10 August 2019


Joined 10 August 2019
29 SEP 2019 AT 12:17


दीदी थी आपके आँख का तारा
मै थी आपका चांद सा तुकडा प्यारा
और आप थे पापा हमारा ब्रह्मांड सारा...

सोने सा दिल था आपका
थी पितळ सी वाणी
आपके बिना अधुरी सी है मेरे जीवन कि हर कहाणी...

और क्या कहू आपके बारे मे
शब्ध कम पड जाते है
आपकी याद मे नैना भी बादल से बारस जाते हैं...

क्यू दूर हुए आप हमसे ये खयाल आता हैं

शायद यहि उसूल हैं दुनिया का तभी तो,
गौरी का लाल भी तो दस दिन रहकर
अपने घर वापिस लोट जाता हैं...

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11 AUG 2019 AT 21:07

No one saying only truth to you
Literary no one ,me to!

All the humans add their
Own thinking to it...

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11 AUG 2019 AT 13:19

शाम नहीं थी काली मगर
बस तेरे ज़ुल्फो ने घेरा था...
दोस्तों ने समझाया था
मगर मै प्यार मे येड़ा था...

क्या करू
पसंद आया था
तेरी आँखो का काजल...
तभी तो तेरा हाथ
थामा था...
चूमकर तेरे माथे को
साथ जनम साथ निभाउंगा
ये कहा था...

पर तेरी क्या गलती
तेरी तो मज़बूरी थी
कहा तेरे हाथ मे तेरी खुदकी डोरी थी...

तू तो खुद कटपुतली थी
तेरे बाबा के दिमाग़ मे थी जात ...

बेटी ब्याह कर लेगी दूसरे जाती मे
क्या रह जाएगी हमारी ओकात...

फिर टूटे सारे नाते
पीछे छूटे सारे बंधन
खुशियों से भरा था जो दिल
अब लगता है किसी मौत का आंगन...

खुशियाँ अपनी छोड़कर
दिए तूने अपने प्यार की क़ुरबानी...
क्या तेरे बाबा
समझ पाएंगे मेरी ये महुँज़बानी...

कतरा आंसू का रोक लिया
बिछड़ने को मुज़से हर दम झगड़ी...
क्या तेरे बाबा समझ पाएंगे कभी
क्या खोया है तूने बचाने के लिए उनकी पगड़ी...

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10 AUG 2019 AT 15:58

कैसा लगता होगा वो मंज़र
जब एक दिन मे कोई हमबिस्तर हो जाये...

ना चाहते हुये भी
खेले कोई मेरे बालो से
और
पीठ पर रखकर
हाथ वो सहलाये...

सांसे चढ़े मेरी उफान पर
जब
दो दिन की पहचान रिश्ते मे बदल जाये...
क्या करें कोई बेटी भी तब
जब उसका बाप उसके लिए ही कबर खुदवाये...

आँखो मे आँखे डाल कर देखे वो
जैसे मुझे आज कहा ही जाये...
बदन को देख मेरे
उसके मुँह से लार टपके
और
आँखो मे नियत साफ नज़र आ जाये...

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