सुबह भी वो है
शाम भी वो है
तड़प भी वही
और आराम भी वो है
लड़ना उसी से
और मानना भी उसी को
सब छुपाना उसी से
और सब बताना भी उसी को
तारों सी चमकती
हवा सी बहकती
उसी हर अदा
पर सासें जैसे थमती
वो सब में है
या सब है उसी से
जब वो खिलखिलाती
फिर हसता मैं खुशी से
अंकित (मृदुल)
-
Insta I'd :ankitmridul
शामों में बैठी तुम साथ में
और मैं तुमको चांद का टुकड़ा नही कहता
मैं मानता हु तुम्हारे गुलाबी गालों को
मैं कभी उस उगते सूरज सा नहीं कहा
या फिर तेरी जुल्फे घनी बादलों सी
या झील सी गहरी आंखों में नही डूबता
इसका मतलब
ये नही की मेरा समर्पण मेरा प्रेम
तुम्हारे लिए अब कम हुआ है
या मेरे हृदय को किसी और ने छुआ है
ये जो चांद-तारों-या गुलाब सी तुम हो
ये सब उपमाएं पुराने है...
तुम नूतन-नव्य एकदम अलग हो
तुम प्रेयशी मेरी तुम खुद उपमा हो...
क्या ये ही काफ़ी नही
तुम बैठी रहो बगल में मेरे
ख़ामोशी से मैं तुमको निहारता रहूं
कंधे पे अपना सर रख कुछ कहती रहो मैं सुनता रहूं
और इस सुहानी शाम का कोई अंत ना हो......
अंकित (मृदुल)
-
Aतुम यू ही गालों पे जुल्फें डाल लेती हो
रोशनी कम होने की शिकायत
चांद मुझसे करता...-
उन लोगों को लिए 2 मिनट का मौन जो सुबह देर से उठने के कारण आज दोपहर तक भूखे रहेंगे....
😅😅😅😅😅😅
#solar eclipse-
उन लोगों को लिए 2 मिनट का मौन जो सुबह देर से उठने के कारण आज दोपहर तक भूखे रहेंगे....
#solar eclipse-
उसकी तो आदत थी
सरोवर में कंकड़ मारने की
नादान हमीं थे
जो लहरों की तरह मचल बैठे...-
ना जाने क्या बेबसी है दिल ये मंजर की
इंसान घायल हो जाता बिना चोट लगे खंजर की...-
कोई जा के बता दे मेरे उस हुस्न कि परी को
मोहब्बत उनकी मोहताज नहीं
गई है हमसे रूठ कर वो,तो जाएं...
पर मेरी शाम अब भी मुझसे नाराज़ नहीं...-