वो बाते जो किया करते थे
बिना रुके दूर तक चल लिया करते थे
शायद कोई नही अब तुम जैसा बतियाने को
मुझे गले लगाने को,
सब ठीक होगा तुम्हारे साथ ये बतलाने को।
मेरे मजाक में हँसने को ,
मेरे गंदे जोक्स पर भी खुश होने को
मुझे हर एक मिनट खुद से भी ज्यादा सझने को
मेरी रोती आवाज़ सुन खुद सेहम जाने को
कोई नही है तुम जैसा मुझे चुप कराने को-
बहुत दिनों से लिखा नही,
शायद दर्द मेरा दिखा नही,
लोगो को इतना हँसाया
की खुद के गम से ही मिला नही
आज फिर तस्सली से शीशे में देखा
तो मुझे मैं ही दिखा नही,
बहुत दिनों से लिखा नही।-
इश्क़ मुझे भी हुआ
और शायद उसे भी हुआ
मुझे बेपरवाह हुआ
तो उसे बेवजह हुआ
न इज़हार हुआ न कभी इकरार हुआ
बस बेमतलब, बेशर्त प्यार हुआ-
मेरी छोटी सी बात पर मुस्कुरा वो जाती है
कभी कभी बिना बात ही ख़फ़ा हो जाती है
दिखाती नही है, पर मेरे दुःख में सेहम वो जाती है
कम बात कह खूब देर तक बतिया जाती है
न चाहते हुए भी मेरी नींदे चुरा वो जाती है
मुझे कह कर परेशान मत होना और दुनिया भर की परेशानी खुद ही उठा जाती है
इश्क़, मोह्हबत, प्यार, दोस्ती, सारे रिशतें अकेले ही निभाती है
मेरी छोटी सी बात पर भी मुस्कुरा वो जाती है।-
मैं तुझे हमेशा सबसे ऊपर रखूंगा
तू इश्क़ कहेगी मैं इश्क़ कहूंगा
तू मोहब्बत कहेगी मैं मोहब्बत कहूंगा
और तू बस दोस्ती कहे मैं उसमे भी खुश रहूँगा
मैं तुझे हमेशा सबसे ऊपर रखूंगा
तेरी सूरत से नही तेरी सीरत से प्यार करूँगा
तू बेशक दिन को रात कहे,
मैं कम्बख़त उससे भी रात कहूंगा
मैं तुझे हमेशा सबसे ऊपर रखूंगा
हर ख़ुशी में तेरे पीछे खड़ा रहूँगा
और दुःख में तुझसे आगे मैं नज़र आऊंगा,
बस हर मोड़ पर तेरे साथ चलूंगा
मैं तुझे हमेशा सबसे ऊपर रखूँगा-
खुद से इस तरह लड़ रहा हूँ,
जिस तरफ जाने में खतरा सा है,
मैं कमबख्त उसी तरफ बढ़ रहा हूँ।
पता है वहां से आना खली हाथ ही है,
फिर भी न जाने क्यों साथ चल रहा हूँ
उसकी मुस्कान पर मैं मुस्कुरा रहा हूँ
उसके दुःख में उससे ज्यादा मैं तड़प रहा हूँ,
खुद से बिना वजह ही लड़ रहा हूँ।-
मेरे शब्दों को मुझसे गिला है,
तू क्यों दर्द इतना लिख रहा है,
अपने मैं तू इतना बसा है,
तुझे क्यों कोई और न दिख रहा है,
न है, अब कोई होश, तू क्यों इतना खामोश
मुझे दिख रहा है,मुझे दिख रहा है,
तेरे अंदर का वो दानव तांडव कर रहा है,
लोगो से तो ठीक,पर तू खुद से ही क्यों छुप रहा है।
मेरे शब्दों को मुझसे गिला है,
तू लिख ही क्यों रहा है-
आँखों में आँशु लिए शीशा तकता रहता हूँ मैं
दर्द किसी को बताने का शौख नही
इसलिए शब्दो से बयां करता रहता हूँ मैं
कुछ लोग पागल समझते
क्योंकि बिना बात ही हँसता रहता हूँ मैं
कोई नही है सच्ची बात करने वाला
इसलिए खुद से ही बकता रहता हूँ मैं
लोगो को खुश रहने के मस्वरे देता हूँ
और खुद अन्दर ही अन्दर घुटता रहता हूँ मैं
आँखों में आँशु लिए शीशा तकता रहता हूँ मै-
मेरा पहला प्यार मेरी माँ
मेरी शिल्पकार मेरी माँ
मेरी योद्धा मेरी माँ
भगवान का सबसे प्यारा उपहार मेरी माँ
मेरा अश्तित्व मेरी माँ
मेरे जीवन का सार मेरी माँ
मेरा पहला प्यार मेरी माँ
माँ के रूप में पिता का साथ मेरी माँ
मेरे लिए भगवान का अवतार मेरी माँ
त्याग की देवी मेरी माँ
मेरी नींदों का ख्वाब मेरी माँ
कुछ नही बेहिसाब मेरी माँ
परेशानियों से लिपटी ,पर
मुझमे और बस मुझमे दुनिया उसकी सिमटी
पर एक शिकायत तक न मेरी माँ
मेरा पहला और आखिरी प्यार मेरी माँ-
लोग समझते की सबको "good night" बोल
मैं चेन की नींद सोता हूँ,
उनको क्या पता की मैं, कितना सोचता
और बाद मैं कुछ नही समझता हूँ
घर में कोई सुन न ले इसलिए बिना आवाज़
निकाले फुट-फुट कर रोता हूँ,
बीच बीच में खुद को ही कोसता और धीरे धीरे
खुद को खुद से ही खोता हूँ
ये क्या हो रहा मेरे साथ ये नही समझ पाता हूँ
रात रोता हूँ और सुबह फिर खुद को ही हँसता पाता हूँ
सबसे नज़रे चुराते हुए फिर निकल पड़ता हूँ
ज़िन्दगी से, सबसे , कभी कभी खुद से लड़ पड़ता हूँ
फिर थक हार कर वापस वही घर को आता हूँ
और लोग अभी भी समझते की मैं "good night बोल चैन की नींद सो जाता हूँ।-