उसने अपने दस्तखत बदल लिया, साल बदलते ही ।
इक़रार, इंकार में तब्दील कर दिया, साल बदलते ही।।
मोहब्बत के करारनामे में , जो नाम थे जुड़े से ।
उस गुमनाम ने, नाम बदल लिया, साल बदलते ही।।
कुछ पंछी जो, साल भर रहे यहाँ घरौंदा रखा था ।
ठिकाना बदल लिया, दरख्त के हाल बदलते ही ।।
जारी है...-
हँसी का नक़ाब, चेहरे पे, पहन के चलता हूँ ।
जवाब गुनाहों के, रख के , जहन में चलता हूँ ।।
मेरा क़याम आख़िरी होगा, दर पे तेरे आके ।
बेख़ौफ चलता हूँ मगर, सहम के चलता हूँ।।
आ कि एक बार और, जरा देख लूँ जी भर के ।
सलाम क़ुबूल करो, अब सनम, के चलता हूँ ।।
जारी है....
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उम्मीदें 2
एक गठरी बांध रखी है मैंने,कुछ बातों की, कुछ ज़ज़्बातों की ।
कुछ चलते चलते थकते दिनों की, कुछ जागती रातों की ।।
साथ चलने के उम्मीदों की, कुछ अधूरे टूटे वादों की ।।
जिस लब पे फबती है हँसी, अब मुझे वो रोते मिलते हैं ।
मैंने मज़ाक बंद रक्खा है , सर पे मेरे है, गठरी , उम्मीदों की ।।
जारी है....-
दुआ
दिन गुजरा होगा तेरा अच्छा, अब रात, अच्छी जाए ।
होगी जो किसी और से, वो तेरी बात, अच्छी जाए ।।
शायद मिले या ना मिले, हम किसी मोड़ पर शहर के ।
जब कभी उससे मिलो तो, तेरी हर मुलाकात अच्छी जाए।।
जारी है ...-
उम्मीदें
कहीं खरोंच, कहीं घाव, कहीं चीरा लिए हुए ।
इंसां चलता है, उम्मीदों का ज़खीरा लिए हुए ।।
कहीं सड़क, कहीं घाटी, कहीं चोटी लिए हुए ।
रास्ता कटता है, एक, नाम तुम्हारा लिए हुए ।।
कहीं मोड़, कहीं दोराह, कहीं चौराहा लिए हुए ।
कदम बढ़ा रहा हूँ , मंजिल का अधूरा नक्शा लिए हुए ।।
To be cont...
जारी है.....-
कैसे कहुँ की तेरे पास मेरा दिल है ।
या कहीं मेरे सीने में धड़कता तेरा दिल है ।
हम चाहते हैं जो, मिलना बड़ा मुश्किल है।।
गम जो कल तलक इर्दगिर्द था मेरे ।
अंकित, मैं और मेरा गम, दोनों ख़ुशदिल है ।।
मुझे याद है बदन पे तेरे, कहाँ कहाँ तिल है।।
हम चाहते हैं जो, मिलना बड़ा मुश्किल है।।
(To be cont..)
जारी है...
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ज़िंदगी वादा कर करके, मुकर रही है ।
सिसकि याद कर करके, उखड़ रही है।।
मुझ पर खुमार था, उसके हुश्न-ए-जमाल का।
बदरी नशे की धीरे धीरे , बिखर रही है ।।
मेरे सनम रुको, क्या जल्दी है जाने को।
देखो काली घटा फिर से उमड़ रही है ।।
बदनसीब है वो, जो चाहत को पूरा कर न सके ।
सांसों से जिंदा हूँ,कब्र सा,
अंदर इश्क़ की लाश सड़ रही है।।
जारी है...-
एक तस्वीर बनाई थी, ख्वाबों में, बस ख्वाब रह गयी ।वो जिस्म लेके चल दिये, जहन में, बस याद रह गयी ।।बचपना उसमें,मुझमें,अब तलक,अठखेलियां करता रहा
जो बदन बदनसीब से हुए, जवानी बस बर्बाद रह गयी।
लाल चुड़ी, लाल ओढ़नी, होंठों में लगी लाली लाल ।
पूरा जोड़ा लाल, मांग का सिन्दूर, शर्मीला चेहरा लाल।।
गुस्से में आँखे लाल, चेहरा लाल, गजब वो क्या कमाल
अधूरी आशिक़ी में आशिक़ पागल, क्या क़ातिलाना उसका हुश्न-ए-जमाल, बेमिसाल, अजब मेरा हाल ।।
लफ़्ज़ों में उतार पाऊँ, खूबसूरती उसकी, कोई रंग बना पाऊं उस सा, स्याही चाहिये बिल्कुल सुर्ख लाल।
बयां क्या करूँ मैं अपना हाल, जब देखा, किसी और के नाम की, उसके हाथों में लगी मेहँदी लाल। लडख़ड़ा के होश गँवाया, फिर चार घूँट उतार ली, वो बदनाम शराब अब तू मुझे संभाल ।।
जारी रहेगा .....
#उलझन-
रातोँ को उठ उठकर, हमनें खूब रोया है ।
जब पाते पाते मैंने, उसको आज खोया है ।।
वो ख्वाबों में आया था, एक बात कहने को ।
घरवालों के कहने से पहले, वो आज सोया है ।।
कल तक बातें करती थी, हसरतें पाला करती थी ।
जख्म पे जख्म देके, वो हँसता रहा था ।
संगदिल ने छुरा मेरे, लहू से धोया है ।।
वो पल पल कहते थे, तू किसी के साथ सोया है ।
सच बता कि, तूने मुझको या मैंने तुझको खोया है ।।
कुछ दिन की पाबंदी न सह, बाढ़ में बह गए ।
दो पल के सुकून लिए, शराब में बह गए ।।
वो मोहब्ब्त झूठी निकली, जिस्मो की चाहत बनी ।
हां हां, परवाना किसी, शमा से जल के आया है।।
वक़्त बदला, चाहत बदली, बातों से मेरी आदत बदली।
ख़ूब रोता था मगर मैंने, उसको आज रुलाया है ।।
रातोँ को उठ उठकर, हमनें खूब रोया है ।
जब पाते पाते मैंने, उसको आज खोया है ।।-
और भी कुछ बताओ, गर कुछ बात हो बताने को।
आओ ठहरो साथ मेर, गर कुछ वक्त हो बीताने को।।
तन्हा यूँ ,छोड़ा क्यूँ, तुमने ,ओ राहगीर, रास्ता मोड़ा क्यूँ।
कसमे तुमने तोड़ा क्यूँ, गर कुछ खायी थी निभाने को।-