Ankit Kumar   (Ehsaas_Ankit_ke)
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Joined 25 June 2018


Joined 25 June 2018
5 JUL 2022 AT 23:55

आहिस्ता आहिस्ता भनक लगी उनकी बेवफाइयों की....
गुरूर कुछ हमारा भी बिखरा हुआ सा लगने लगा...
-Ankit kumar

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10 JUL 2021 AT 14:54

अपने जख्मों....
अपने सदमों....
से मैं कितना शर्मिंदा हूं
क्या कारण है....क्या है सबब
जो मैं आज भी अब भी जिंदा हूं।।

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13 JUN 2021 AT 12:31

कमबख्त ये घटाएं भी रोने जैसी हो गई हैं

कही इन घटाओं ने हमें देख तो नहीं लिया।।।

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21 MAY 2021 AT 15:23

तुम जाने दे रहे हो...
इसलिए चला भी जाऊंगा...
मैं वक्त की तरह हूं...
एक बार चला गया...
तो कभी वापस नहीं आऊंगा ।।

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21 MAY 2021 AT 14:51

तुम खुद को तो बखूबी समेट रहे हो....
लेकिन कोई है....
जो तुम्हारे हाथों से रेत की तरह फिसल कर बिखरा जा रहा है ।।

- अंकित कुमार

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29 DEC 2020 AT 21:55

जिस रिश्ते में विश्वास नहीं होता.....
वो रिश्ता.... रिश्ता कहलाने के लायक नहीं होता......

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3 OCT 2020 AT 22:27

कई दफा ऐसा होता है कि हम सब कुछ समझ कर भी समझना नहीं चाहते....
कई दफा हम देख कर भी अनदेखा कर जाते हैं....
कई दफा कुछ ऐसी जगह उम्मीद लगा बैठते हैं जहा उम्मीद की एक किरण तक नहीं होती....
आखिर ऐसा क्यों करते हैं हम ???
आखिर क्यों???
शायद इसलिए क्योंकि हम सब कभी कभी ये समझ बैठते हैं कि हम किसी के लिए बहुत जरूरी है...
लेकिन हम इतने जरूरी कभी होते नहीं हैं....

उफ़....
ये गलतफहमियां....

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29 SEP 2020 AT 12:08

दर्द बहुत है मेरे सीने में....
शायद इसीलिए....
मजा नहीं आ रहा जीने में।।

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25 SEP 2020 AT 23:38

Muddaton baad aaj socha tha....
Ki बयां karenge apne saare dard tumse....
Per tumne महज़ sunna tak गंवारा nahi kiya....
Shayad meri खामोशी ko tumne mera गुरूर samajh liya hai....

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24 SEP 2020 AT 23:13

किसी ने एक दफा पूछा था मुझसे,
की आखिर है क्या तेरी जिंदगी,
हमने भी हस कर कह दिया.....

लज्जत-ए-गम

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