उनके एहसासों में दिन-रात गुज़ार लेता हूँ उनकी सांसों की गरमाहट में जुदाई काट लेता हूँ कुछ यूँ जुड़ा हूँ उनकी यादों से की मुस्कुराते हुए ये ज़िंदगी भी गुज़ार देता हूँ।।
चलो आज फिर उनकी बात करते हैं आज फिर इस रात को उन पर निसार करते हैं आज फिर उनके संग गुज़ारे उन लम्हों को याद करते हैं, और इस जाम से उन्हें भुलाने का एक और प्रयास करते हैं।।
तेरे चेहरे पर तबस्सुम हो शायद ये मुमकिन न हो ज़िंदगी भर हमारा साथ हो शायद ये मुमकिन न हो आज तो तोड़ दे सारी ख्वाइशें अपने कल मिलने का शायद ये मुमकिन न हो।।