Ankit kumar Singh  
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A monk ...... In love with you and your beautiful lines...
Joined 26 July 2020


A monk ...... In love with you and your beautiful lines...
Joined 26 July 2020
20 JUL 2023 AT 20:07



मैं भी चाहता था एक दोस्त हो
गलतियों पर माफी ना मांगू और वो दोस्त हो
लाख माफियाओं के बाद हार गया हूं मैं आज
उसने कहा तुम आवारे हो ,भला आवारो का कौन दोस्त हो ।

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24 MAR 2023 AT 18:40

बहुत से है मेरे साथ बैठकर मुस्कुराने वाला
मुझे इल्म है मेरी दावत पर कोई नहीं आने वाला
फकत चांद भी दिखता है रातों को
वो भी सुबह तक नजर नहीं आने वाला।

और ये मसला है खुद्दारी का
मैं भी बुझते दिए को नहीं जलाने वाला
शोर है कि मैं रायगाँ था और रायगाँ ही रह गया
मैं भी किसी को गलत नहीं बताने वाला।।

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13 FEB 2023 AT 16:13

हिरनी की तरह आंखें ,चांद-तारों की तरह चेहरा
ये सब तो ठीक है।
उसने जब से मुझको चुम्मा है
मेरी हालत कहां ठीक है।।

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6 FEB 2023 AT 19:49

मैं एक रोज एक शहर लूटुगा
वो बंद होते खुलते सुबह की नींदों की तरह
बिन बुलाए आ बैठ जाने वाले,गांव के उन बूढ़ों की तरह
एक रोज एक शहर लूटुगा

ये चमकते शहर में खुश रहने की बहुत गरीबी है मुझ में
उन अंधेरे गांव में दिखने वाले चांद तारों के खातिर
एक रोज शहर लूटुगा

कोई कह सके तो, जरा सुने हम भी
उस बरगद पर 3 भूत रहते हैं ,उन कहानियों के खातिर
मैं एक रोज.....

चौराहों को चौक बना देने की जो सभ्यता है ना
फिर डमरु बजा कर बर्फ बेचने वालों के खातिर
मैं एक रोज....

सच कहूं तो बहुत रोशनी है मेरे शहर में
गांव के उन अनंतहीन अंधियारो खातिर
मैं एक रोज एक शहर लूटुगा।।

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23 JAN 2023 AT 20:36

मोहब्बत में फूलों की कीमत
मत पूछो बिछड़ने वाले उन दरख़्तो की कीमत
फिर सुना है आ रहा है महीना फरवरी का
जरा हमें भी बतलाना ये लाल गुलाबों की कीमत।

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14 JAN 2023 AT 0:31

ये आधा आधा चांद भी
पूरा-पूरा तुम सा दिखता है
है थोड़ा गुम ,तुम सा
कहां कभी पूरा दिखता है

अरे और
ये लो तो अब तो धुंध छा गई
ना तारे हैं ना अब तो चांद भी
शायद रात गहरी हो गई
या फिर वो सो गया जो चांद सा दिखता है।

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5 DEC 2022 AT 13:15

ये सर्द सुबह
ये चमकता सूरज भी
काश तुम मेरे शहर में होते
तेरे गले लगते, तेरे गले पड़ते।

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20 AUG 2022 AT 12:08

तुम राधा हो
हम भी घनश्याम बने
बस जिस गली में मिलो तुम
वही तो अपनी मथुरा और वृंदावन धाम बने।

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15 JUN 2022 AT 19:05

किसी और से इश्क करें
बताओ तुम?
यानी तुमको छूकर किसी और को छूने की ख्वाहिश रखें?
बताओ तुम
ये जो चांद देख रही हो ना ,ये हो तुम
फिर चांद से बगावत करें ,बताओ तुम?

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12 JUN 2022 AT 19:27

एक शौक था हमें और उसकी खुशबू अलग थी
बस थोड़ा सा इश्क था हमें बेशक उसकी खुशबू अलग थी

फिर कहां तलक किसी दूसरे दरिया को निहारते हम
उसके चेहरे के नूर की खुशबू अलग थी

आप, हम, तुम इन्हीं किसी गलियों में मिले थे हम
फिर" तुम पागल हो" सुनने की खुशबू अलग थी

कल सपने में मिले थे हम हां याद आया
आज की सुबह की खुशबू अलग थी

जर्जर टूट कर दफन होने को था मैं
हां मगर टूटते रहने की खुशबू अलग थी

और अब कोई इतवार की ख्वाहिश नहीं हमें
जिंदगी अब तो इतवार है हां मगर उस इतवार की खुशबू अलग थी

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