Ankit Kumar Sharma   (Ankit Sharma)
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Joined 3 October 2020


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7 MAR 2022 AT 22:24

ये जो माँ की मोहब्बत होती है ना...
ये सभी मोहब्बतों की माँ होती है !!

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7 MAR 2022 AT 21:08

सुनों सुनों शहर पर बारूद के गोले बरसाने वालों,
सुनों सुनों बच्चो को दिन रात प्यासा तरसाने वालों।
ये जर्जर हुई इमारतें क्या तुम्हारी वीरता का प्रमाण हैं,
सुनों सुनों इन युद्धपोतों से मासूमो को डराने वालों।
रोती बिलखती आंखें हृदय तुम्हारा पिघला न सकी,
सुनों सुनों पनडुब्बी में मुँह अपना छिपाने वालों।
उड़ती हुई मिसाइलों से तारों की नींद भी टूटी होगी,
सुनों सुनों चाँद को भी सफ़ेद कफ़न ओढाने वालों।
जिस ज़मीं को माँ कहा उसी पर वज्राघात किया,
सुनों सुनों इंसानियत का सिर शर्म से झुकाने वालों।
धुआँ धुआँ हैं आसमां न जाने फिर कब नीला होगा,
सुनों सुनों गंधक की गंध से फूलों को मुरझाने वालों।
कोई बूढ़े का सहारा था कोई माँ का बेहद दुलारा था,
सुनों सुनों कब्रगाह को यूँ बेसब्री से सजाने वालों।
शहर जीतकर भी शहर की आत्मा जीत न पाओगे,
सुनों सुनों हर देश को एक शरीर मात्र समझने वालों।
हवा भी बागी होकर तुम्हारे ध्वज से रुख मोड़ लेगी,
सुनों सुनों खून से सनी विजय पताका फहराने वालों!!

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7 MAR 2022 AT 21:06

आँखों में कैसा ये गीलापन उतर आया,
ठहर गयी नजर जहाँ भी तेरा जिकर आया।
छल गया दिल को जब भी कोई
ज़माने में,
ख्यालों में भी मेरी जां प्यार तेरा बेफिकर आया।
दर्द जब भी कोई समझने का दावा करता है,
हर उस अक्स में मेरी जां तेरा चेहरा नज़र आया।
सोचता है पल पल तुझको ही मेरा अब ये मन,
हर याद से तेरी मैंने दिल को भी बेखबर पाया।
हर मौसम भी तेरा हर दम गुणगान करता है,
हवा का झोंका भी तो फिर तेरी खबर लाया।

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7 MAR 2022 AT 21:05

सुनों सुनों शहर पर बारूद के गोले बरसाने वालों,
सुनों सुनों बच्चो को दिन रात प्यासा तरसाने वालों।
ये जर्जर हुई इमारतें क्या तुम्हारी वीरता का प्रमाण हैं,
सुनों सुनों इन युद्धपोतों से मासूमो को डराने वालों।
रोती बिलखती आंखें हृदय तुम्हारा पिघला न सकी,
सुनों सुनों पनडुब्बी में मुँह अपना छिपाने वालों।
उड़ती हुई मिसाइलों से तारों की नींद भी टूटी होगी,
सुनों सुनों चाँद को भी सफ़ेद कफ़न ओढाने वालों।
जिस ज़मीं को माँ कहा उसी पर वज्राघात किया,
सुनों सुनों इंसानियत का सिर शर्म से झुकाने वालों।
धुआँ धुआँ हैं आसमां न जाने फिर कब नीला होगा,
सुनों सुनों गंधक की गंध से फूलों को मुरझाने वालों।
कोई बूढ़े का सहारा था कोई माँ का बेहद दुलारा था,
सुनों सुनों कब्रगाह को यूँ बेसब्री से सजाने वालों।
शहर जीतकर भी शहर की आत्मा जीत न पाओगे,
सुनों सुनों हर देश को एक शरीर मात्र समझने वालों।
हवा भी बागी होकर तुम्हारे ध्वज से रुख मोड़ लेगी,
सुनों सुनों खून से सनी विजय पताका फहराने वालों!!

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7 MAR 2022 AT 19:32

ज़िन्दगी वक्त के बहाव में है,
आज हर आदमी तनाव में है।
ये कहाँ आ के खो गये हम तुम,
जब सफर आखरी पड़ाव में है।
हमने दरिया पे रख दिया इल्ज़ाम,
ये न देखा कि छेद नाव में है।
देखकर उसने फेर लीं नज़रें,
वो यकीनन किसी दबाव में है।
नफ़रतें हैं उसी के हिस्से में,
प्यार जिस शख़्स के स्वभाव में है।
आज अंकित समाज अपना,
घिरा कितने भेदभाव में है!!

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1 FEB 2022 AT 12:16

❝माना दुनियाँ बुरी है ,सब जगह धोखा है,

लेकिन हम तो अच्छे बने, हमें किसने रोका है।❜❜— % &

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1 FEB 2022 AT 12:14

जिंदगी बहुत छोटी है इसलिए किसी इंसान का पीछा करने से कई गुना बेहतर हैं अपने सपनों को पुरा करना ..— % &

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1 FEB 2022 AT 12:13

मैं कैसे हार जाऊं,
तकलीफों के आगे...
मेरी तरक्की की आस ,
में मेरी मां बैठी है....— % &

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1 FEB 2022 AT 12:11

मुख़्तसर सी ज़िन्दगी के भी अजीब फ़साने हैं...

यहाँ तीर भी चलाने हैं और परिन्दे भी बचाने हैं।— % &

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1 FEB 2022 AT 12:10

ज़िन्दगी एक किताब की तरह है। कुछ अध्याय उदास हैं, कुछ खुश हैं और कुछ रोमांचक हैं, लेकिन अगर आप पेज नहीं बदलेंगे, तो आप कभी नहीं जान पाएंगे कि अगले अध्याय में आपके लिए क्या है।— % &

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