Ankit Kumar Savita   (कुमार अंकित)
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Joined 2 October 2019


Joined 2 October 2019
5 OCT 2019 AT 12:31

झर-झर झरते झरने की बौछार हो तुम,
मेरे बेचैन दिल की पुकार हो तुम।

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3 OCT 2019 AT 14:28

यूँ किसी के नरमी दिखाने से,
यूँ किसी के दिलकशी बढ़ाने से,
यूँ किसी के आस जगाने से,
यूँ किसी के मरहम लगाने से,
उदासी कम नही होती।

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3 OCT 2019 AT 10:18

यूँ किसी नए के आ जाने से,
यूँ किसी के मुस्कुराने से,
यूँ किसी के दिल लगाने से,
यूँ किसी के शरमाने से,
उदासी कम नही होती।

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3 OCT 2019 AT 9:37

टप-टप टपकती बारिश की बूंदों का संगीत हो तुम,
मेरे हमराही, मेरे मनमीत हो तुम।

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2 OCT 2019 AT 21:51

तू मेरी ज़िन्दगी की वो संगीतमयी धुन है,
जिसके होने से मेरा लयबद्ध होना है।

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