वो खुदको वफ़ा हमें बेवफ़ा बताते है
ग़ालिब उनसे पूछों किसी के साथ किया है
या लोग से वो सच कहने से डरते है।-
ये ज़िन्दा लाश बोलती भी है क्या
सुना है उन्हें दर्द और खामोशी एक साथ गलत है-
जैसा लिखा हमने वैसा पाया नही
वो तो नायाब सोच है किसी ने सोचा नही
हमें कहते जा पगले तू शायर नही।-
दिल में पीड़ा जगाय दियो है बना बनाया महलिया उजाड़ दियो है
कउन सौतनिया ने तोहे भरमायों है उसके ही गुण तुम गाए रहो है-
तेरे मेरे दरमियां एक-एक पन्ने का फासला है
एक चाहत इन पन्नों में पनप रहा है-
वो कोई पुराने महल की इमारत है
अपने अन्दर कितने राज छुपाए है
पाषाण काल की नायाब लिपि है
वो एतिहासिक सुसज्जित पत्थर है-
मेरे तन को कितनों ने छुआ है
बाजार में मेरे जिस्म का दाम लगा है
किसी ने नोचा किसी ने खाया है
किसी ने ना माँ ना बहन ना पत्नी कहां है
सबके लिए मैं बस एक जरूरत थी
सबने अपने जरूरत के हिसाब से नचाया है-
वो गुम है तो उन्हें गुमनाम ही रहने दो
मशहूर होके आखिर हम बदनाम हुए है-