Ankit Kumar (Jaani)   (Nasamajh kalam)
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Joined 25 December 2021


Joined 25 December 2021

वो खुदको वफ़ा हमें बेवफ़ा बताते है
ग़ालिब उनसे पूछों किसी के साथ किया है
या लोग से वो सच कहने से डरते है।

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ये ज़िन्दा लाश बोलती भी है क्या
सुना है उन्हें दर्द और खामोशी एक साथ गलत है

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जैसा लिखा हमने वैसा पाया नही
वो तो नायाब सोच है किसी ने सोचा नही
हमें कहते जा पगले तू शायर नही।

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दिल में पीड़ा जगाय दियो है बना बनाया महलिया उजाड़ दियो है
कउन सौतनिया ने तोहे भरमायों है उसके ही गुण तुम गाए रहो है

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14 HOURS AGO

तेरे मेरे दरमियां एक-एक पन्ने का फासला है
एक चाहत इन पन्नों में पनप रहा है

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20 HOURS AGO

वो कोई पुराने महल की इमारत है
अपने अन्दर कितने राज छुपाए है

पाषाण काल की नायाब लिपि है
वो एतिहासिक सुसज्जित पत्थर है

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2 JUL AT 23:48

मेरे तन को कितनों ने छुआ है
बाजार में मेरे जिस्म का दाम लगा है

किसी ने नोचा किसी ने खाया है
किसी ने ना माँ ना बहन ना पत्नी कहां है

सबके लिए मैं बस एक जरूरत थी
सबने अपने जरूरत के हिसाब से नचाया है

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2 JUL AT 23:32

वो गुम है तो उन्हें गुमनाम ही रहने दो
मशहूर होके आखिर हम बदनाम हुए है

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2 JUL AT 23:10

कहां गया बेदर्दी मुझको छोड़के
देखो तो किस शहर का अब रुख किया है

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2 JUL AT 21:36

चाहत का प्यास बढ़ेंगा धीरे-धीरे

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