तेरा जाना कोई लम्हा न था,
जिसमें बरसों गुजर जाते।
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तेरे बालों में फूल जब से खिले,
मेरे अशआरों को भी रंग मिलें।
हवा ठहर के तुझसे कुछ कह गई,
जैसे वक़्त को भी पंख मिलें।
तेरी ज़ुल्फ़ों में छुपे हैं मौसम,
कभी सावन, कभी पतझड़ मिलें।
तेरी मुस्कान की जो रौशनी है,
उसमें चाँद और तारे भी जलें।
हमने अश्कों को मोती कर लिया,
जब तेरी यादों के फूल झरें।
इश्क़ सिर्फ़ इक लफ़्ज़ नहीं रहा,
तेरे होने से मायने बदलें।-
मेरी तन्हाई से अब किताबें वाक़िफ़ हैं,
रातभर जागती हैं, मुझे सुलाने के लिए।-
वो अब इस छत से दिखती नहीं है,
मालूम पड़ा कि अब शहर में रहती नहीं है,
दिलों के शहर में भी अब वो रहती नहीं,
शायद किसी नई दुनिया में बस गई है कहीं।
या हो सकता है कि उसने खुद को इस तरह से छुपा लिया हो कि नजर न आये।
एक वक्त था जब वो इसी छत से दिखाई देती थी,
शहर की भीड़ में भी उसकी पहचान थी,
दिलों में राज करती थी,
और अब, जैसे वो एक रहस्य बन गई है।
नई दुनिया कैसी भी हो, उम्मीद है उसे सुकून मिलेगा।
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When you say 'I love you' for the last time in a breakup,
those words die the moment they leave your lips.
They carry no warmth, no meaning
just an echo lost in a heart that no longer listens.-
अच्छे दिनों की आस में पल बीतते जाते हैं, बाद में समझ आता है कि वही असल अच्छे दिन थे।
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कच्ची नींद में सोने वाले, सपनों की रंगीन दुनिया से कोसों दूर रहते हैं। उनकी नींद इतनी हल्की होती है कि हवा का एक छोटा सा झोंका भी उन्हें नींद की आगोश से बाहर खींच लाता है। जैसे कोई नाव बिना लंगर के खुले समुद्र में बहती रहती है, वैसे ही कच्ची नींद वाला व्यक्ति रात भर करवटें बदलता रहता है, कभी पूरी तरह से नींद की गहराई में नहीं उतर पाता। उनकी नींद एक पतले से धागे से बंधी होती है, जो ज़रा सी आहट से टूट सकती है। एक छोटी सी आवाज़, एक हल्की सी रौशनी, या फिर एक अनजान सी फिक्र उन्हें नींद की मीठी दुनिया से बाहर खींच सकती है।
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रात दीवारों पे रेंगती है, खामोशी की चादर ओढ़े,
जैसे कोई पुरानी यादें, धीरे-धीरे सिहर कर लौटे।
चाँदनी की किरणें दरारों से झाँकती हैं,
जैसे वक्त के निशाँ, जो कभी मिटते नहीं।
सितारों की चुप्पी में कुछ रहस्यमयी बातें छिपी हैं,
जैसे दिल की गहराई में दबे कुछ अरमान,
जो रात के इस सन्नाटे में खुद को तलाशते हैं।
सांसों की हल्की आहट भी दीवारों से टकराती है,
जैसे किसी अधूरी कविता की धुन,
जो खत्म होने से पहले ही कहीं खो जाती है।
रात दीवारों पे रेंगती है, सवालों के साए लिए,
हर कोने में बसी एक नयी कहानी की चाह लिए।
शायद सुबह इन कहानियों को रोशनी मिलेगी,
या ये दीवारों पे बस यूँ ही रेंगती रहेंगी,
अनसुनी, अनकही।-
Wisdom in the mind, money in the pocket, but compassion in the heart. Striking the balance for a meaningful journey.
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