कहानियां झूठी मोहब्बत की सदा सुनाई जाती है
सच्ची हो इबादत तो यूंही भुलाई जाती है
आते है पसंद अक्सर साहिल और आफताब लोगो को
तभी कोई निक्की, श्रद्धा फ्रिज में पाई जाती है
था जो भी पर वो मुक्कमल इश्क तो ना था
होगी वो दो तरफा जरूरत जो संबंधों में भुनाई जाती है
है ये पैसा, ताकत या हवस जिसे नाम ए पाक किया गया
होती है जो पाक एक कोशिश यूंही दफनाई जाती है
कहानियां झूठी मोहब्बत की सदा सुनाई जाती है
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सियासी ताकतों ने मुल्क में कुछ यूं कर डाला
जन से जनता, जनता से भीड़ कर डाला
थे सभी एक हिंदुस्तानी गुलामी के साए में
हुए आज़ाद तो आपस में हिंदू मुस्लिम का डर डाला
एक पिक्चर सी आई सिनेमाहालों में
चली ऐसा की नफ़रत का रंग भर डाला
एक दोस्त था मेरे करीब बीते कुछ 20 सालों से
बिछड़ने लगा तो हमे गद्दार और जयचंद कह डाला
माना चर्चे बहुत है साहिबे मसनद के
चलाया मुल्क ऐसा की दो टुकड़े कर डाला-
एक शख्स था मिला यूं
जैसे पतझड़ में सफ़ेद फूलों का बहार मिला
था मासूम पर खुद को उम्रदराज समझता था
किया कुछ भी ख़ास बुरा नही उसने
मगर जब भी मिलता खुद को गुनहगार कहता था-
मैं अपनी सोच का शिकार हूं।
ना कोई बोझ हूं ना ही कोई विकार हूं
लिए फिरता हूं एक गठरी उम्मीद की
मैं अपनी सोच का शिकार हूं।
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फक्र करो ख़ुद के ख़ुद होने पर,
याद आती है पुरानी गलिया दर बदर होने पर
ये गुस्सा ये नाराज़गी ये झूठी शान
एक लम्हे है इनका जाना तय है
कुदरत का दिया एक उम्र ही है
याद रहे ये शरीर है और इसका ढलना तय है।-
इन्सान का सिर्फ अच्छा होना काफी नहीं है
अच्छा इंसान या तो खुश रह सकता है या फिर अकेला-
सूर्य सा तेज़ ताप होगा
मन में उठता उच्च कोटि आग होगा
होगा जो कुछ भी मगर
काल सा विकराल होगा, कोई हलाहल नाग होगा
साम होगा दाम होगा, भिसड एक संग्राम होगा
संघर्ष ही विराम है
जीवन एक संग्राम है,
उम्र गुजरी जाती है जैसे ढलती कोई शाम हो
मुश्किलें हैं की जैसे चिलचिलाती घाम हो
आज जो तुम हो जीते, तुमपे है नाज़ हमे
है पता ये जीत का नशा, जैसे कोई ज़ाम हो
है अगर ये संघर्ष तो लड़ूंगा सहर्ष मैं
संघर्ष ही विराम है
जीवन एक संग्राम है।
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2020
क्या बुरा था या भला नहीं पता
पता तो बस इतना है कि इसने
सबको अपनो का पता बता दिया
इसने बताया कि नेता का नेता होने से ज्यादा
पढ़ा लिखा और सनक मुक्त होना महत्वपूर्ण है
इसने दिखाया कि धर्म को मानने से ज्यादा
धर्म से डरने और धर्म के व्यापारी है
इसने समझाया की विश्वगुरु के सपने अच्छे हैं
लेकिन शिक्षा के बावजूद बेरोजगारों की कतार लंबी है
साथ ही ये भी समझाया धर्म का रास्ता जरूरी मुद्दों को
दरकिनार करते हुए राजनीति के कुर्सी तक जाता है
फिलहाल जाने वाले को कौन रोक सकता है
लेकिन 2020 एक साल से ज्यादा सही मायनों में
एक निष्पक्ष आइना था, जिसकी चमक ने बहुतों को अंधा बनाया और बहुतों की आंखे भी खोली।
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पूछ लिया करो, तू ठीक है ना?
यकीन मानो दोस्ती सिर्फ साथ रहने तक ही नहीं साथ देने तक की होती है।
पूछ लिया करो, हस लेता है ना?
बात ये है कि आज खुशी डिजिटल है और रिश्ते मात्र गिनती
तो बस पूछ लिया करो...!-