मीडिया राजनीति के कोठे पर बैठी वो तवायफ़ है जो हर रोज़ बिका करती है
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अजनबी रंग छलकता हो अगर आँखों से
उन से फिर हाथ मिलाने की ज़रूरत क्या है
{covid 19}-
पत्थरों के शहर में कच्चे मकान कौन रखता है..
आजकल हवा के लिए रोशनदान कौन रखता है..
अपने घर की कलह से फुरसत मिले तो सुने..
आजकल पराई दीवार पर कान कौन रखता है..
जहां जब जिसका जी चाहा थूक दिया..
आजकल हाथों में पीकदान कौन रखता है..
खुद ही पंख लगाकर उड़ा देते हैं चिड़ियों को..
आजकल परिंदों मे जान कौन रखता है..
हर चीज मुहैया है मेरे शहर में किश्तों पर..
आजकल हसरतों पर लगाम कौन रखता है..
बहलाकर छोड़ आते है वृद्धाश्रम में मां बाप को..
क्यूँकी आजकल घर में पुराना सामान कौन रखता है..-
Kuchh log apni aukat dikha dete hai
Girane ki firaq mein bas ilzaam laga dete hain-
लोग भी बड़े अजीब होते है गलत साबित होने से पहले माफ़ी नहीं मांगते बल्कि तालुक तोड़ देते है
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Jawaniyon me jawani ko dhul karte hain
Jo log bhul nahi karte bhul karte hain
Agar Anaarkali hain sabab bagaavat ka
Salim hum teri sharten kabool karte hain
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ha aek harf ka andaaz badal rakha hain
Aaj se humne tera naam gazal rakha hain
Maine shaahon ki mohabbt ka bharm tod diya
Mere kamre me bhi aek Tajmahal rakha hain
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बुलाती है मगर जाने का नईं
ये दुनिया है इधर जाने का नईं
मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर
मगर हद से गुजर जाने का नईं
सितारें नोच कर ले जाऊँगा
में खाली हाथ घर जाने का नईं
वबा फैली हुई है हर तरफ
अभी माहौल मर जाने का नईं
वो गर्दन नापता है नाप ले
मगर जालिम से डर जाने का नईं
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जाने क्यों रिश्तों में जज्बात बदल जाते हैं
कभी लोग तो कभी हालात बदल जाते हैं-
बातों को गुप्त रखने का रहस्य
जो आप चाहते हो कि आपकी कुछ गुप्त बातें ,गुप्त ही रहें तो इसका एक और केवल एक ही उपाय है कि आप स्वयं किसी से न कहें
हर बात मित्रों से न कहना क्योंकि मित्रों के भी मित्र होते हैं-