अंकित दीक्षित   (© अंकित दीक्षित 'अर्ज़')
3.2k Followers · 38 Following

read more
Joined 14 February 2018


read more
Joined 14 February 2018

पता था रात बड़ी देर तक सताएगी
ना जानता था मेरी जान ही ले जाएगी

जहाँ मैं हूँ मुझे ख़ुद की ख़बर नहीं मिलती
तेरी ख़मोशी मेरा हाल अब बताएगी

मैं ने ये सोच के उसको यहाँ से जाने दिया
अगर कभी उसे आना है तो वो आएगी

की जंगलों से भी कोई तो रास्ता निकले
जो तीरगी में भी कुछ रौशनी मिलाएगी

कभी वो वक़्त भी इक-दिन ज़रूर आएगा
तुझे भी याद मेरी रात-दिन रुलाएगी

-



दूर पहले वो जाए अचानक
पास खुद ही बुलाए अचानक

दर्द हो हर तरफ़, हो ख़मोशी
फिर ग़ज़ल कोई गाए अचानक

कह के जाए नहीं आएगा वो
और फिर वो आ जाए अचानक

हम हो गिरने के उम्मीद पर और
हाथ कोई बढ़ाए अचानक

मांगता जब रहूं कुछ खुदा से
इक वो तारा गिराए अचानक

मैं जिसे ढूंढता रह गया हूं
काश कोई मिलाए अचानक

-



अपना था जो, वो भी अब अंजान हुआ
हमको चेहरा पढ़ने का नुकसान हुआ

मंज़िल ओझल थी कदमों में काँटे थे
रस्ता चलते-चलते फिर आसान हुआ

दिल में झाँक के देखा तो वो बैठी थी
अब तो जिसका घर था वो मेहमान हुआ

वो क्या जाने मल्लाहे पर क्या गुज़री
टूटी कस्ती देख कर जो हैरान हुआ

कल तक इस कमरे में तो खुशहाली थी
सोचो ये कमरा कैसे वीरान हुआ

उस पर जब हम अपना सबकुछ हार गए
उसने हमको छोड़ा ये ऐलान हुआ

-



ज़िंदगी में वो पराया रह गया
शख़्स जो दिल में समाया रह गया

ग़ौर से इक बार देखा था उसे
ख़्वाब तक में वो ही छाया रह गया

कल जो उसने हाथ थामा प्यार से
यार मैं फिर अक-बकाया रह गया

था जो मेरा वो भी मुझ से छीन कर
पास मेरे क्या ख़ुदा-या रह गया

आँख तक जज़्बात मेरे आ गए
मुट्ठियाँ फिर भी दबाया रह गया

है मुझे गर दुख तो छोटी बात का
प्यार था जो भी वो ज़ाया रह गया

-



जमाने भर में चर्चा था तुम्हारे साथ था जब मैं
अकेला हूं तो फिर कुछ भी ना पूछा आज लोगों ने

-



मेरी तो बरसों, से है तमन्ना
जो मिल गई तुम, कमाल होगा
यूँ फिर न मुझसे, तू फेर नज़रे
बेताब दिल में, बवाल होगा
चली गई तुम, बिना बताए
लगे की दुनिया, बदल चुकी है
जो तुमको साँसों की तरह जीए
वो तेरे बिन तो, बे-हाल होगा
यूँ फिर न मुझसे, तू फेर नज़रे
बेताब दिल में, बवाल होगा
जो हाले दिल था, मेरा बिछड़ कर
तुम्हे वो शायद, पता नही है
जो ज़ेहन में मेरे गूँजता था
तुम्हारा कोई, ख़याल होगा
यूँ फिर न मुझसे, तू फेर नज़रे
बेताब दिल में, बवाल होगा
हमारे दर पे, खड़े मुसाफ़िर
ये जानने को, मचल रहे है
कि हमने तुझ सा जवाब बक्शा
खुदा का कैसा, सवाल होगा
मेरी तो बरसों, से है तमन्ना
जो मिल गई तुम, कमाल होगा

-



तवीज़ मैंने बना लिया है
गले मे तुमको सजा लिया है
हमारे लहजे में इतना दम है
कि तुमको वापस बुला लिया है

-



हूँ उस शाम की तलाश में

-



दिल की बातों को दिल में छुपाना पड़ा
मन नहीं था मगर मुस्कुराना पड़ा

उसने देखा था पहले तो चारों तरफ़
और हम पर फिर उसका निशाना पड़ा

जब दुआओं से हासिल न कुछ भी हुआ
उसके सजदे में खुद को मिटाना पड़ा

दूर हो कर के करने लगे शायरी
अब भी ज़िंदा हूँ उसको बताना पड़ा

उसने सोचा कि मैं राख में मिल गया
इसके चलते मुझे जगमगाना पड़ा

हुस्न तेरा भी इक रोज़ ढल जाएगा
सोच करके तुझे फिर भुलाना पड़ा

जाने कैसी खता हो गई 'अर्ज़' से
हाथ थामे थे हम फिर छुड़ाना पड़ा

-



रातों को उठ-उठ के रोना बंद करो
आशिक़ हो, दीवाने होना बंद करो

सच कहता हूँ रातें अच्छी गुजरेंगी
तुम भी उसको सोच के सोना बंद करो

टूटे घर मे कोई न आना चाहेगे
इस दिल का अब कोना-कोना बंद करो

बीत चुकी जो उसको सोचे जाते हो
आज के इस लम्हे को खोना बंद करो

हाल-ए-दिल लोगों को अपना बतलाके
सबके दिल में कांटे बोना बंद करो

'अर्ज़' तुम्हें जिन लोगों ने ठुकराया है
तुम भी उन लोगो का होना बंद करो

-


Fetching अंकित दीक्षित Quotes