मुक्ति
-
किसी गम में जो खो जाएगा
नया गम भी तो बो जाएगा
नहीं हैं और कोई उम्मीद
अंधेरा भोर को जाएगा
बड़े मालिक ने कहा है आज
जा तेरा काम हो जाएगा
गलत गाड़ी में मैं बैठा हूं
ये दूजी ओर को जाएगा
सिवा सच के ना हो जब कुछ भी
जियादा कर दो रो जाएगा-
कुछ शख़्स मिलते थे मुझे , पर बात होती थी नहीं
तुमसे मिला तो यूं लगा , की रात होती थी नहीं
चलता रहा उम्मीद पर, तुम साथ मेरे आओगी
जब ढूंढना चाहा तुम्हें, तुम साथ होती थी नहीं-
रब के दर पर सुनवाई भी होती है
रातों में तो परछाई भी होती है
गहराई को लंबाई से नापने वालों
गहराई की गहराई भी होती है-
झूठ भी जब वो बोले तो सच निकले
अच्छा है उसके चंगुल से बच निकले-
चाँदनी अब्र से छुपती हुई शरमाती थी
हुस्न चिलमन से रिहाई की दु'आ करता था-
जो तुमको छू के गुज़री थी, मैं सिमटा उन हवाओं में
मिलेगा क्या मेरे जैसा, रक़ीबों की वफ़ाओं में-
ख़्वाब में तस्वीर का किरदार होना हैं हमें
और फिर उसमें फना हर बार होना हैं हमें-
जो पराए हो जाएंगे सारे अपने,
दुखों का अंबार दिखाई देगा तुम्हें,
फिर लौट के मेरे पास आओगे तुम,
मेरी आँखों में प्यार दिखाई देगा तुम्हें।-