थक कर शाम को जब बैठ जाता हूँ।
तो ताकता हूँ खिड़की से बाहर की तरफ
थोड़ा हर भरा देखने को,
आती - जाती रेलगाड़ियां देखने को।
महसूस करता हूँ अपना शांत चित्त,
प्रकृति का सौन्दर्य और डूबते सूरज की लाली।।
बस इसी पल थोड़ी गहरी लम्बी सांसे लेते हुए
जरा सा खुद को याद कर लेता हूँ।।
#1562 ~~अंकित-
Sound of heart - Shayar
तिल -तिल मरता है दिल,
तेरे इंतज़ार में ।
ज़िंदगी गुजरती नही अब,
यूंही बिखरे हाल में ।।
तुम आओ एक बार फिर से,
और आकर ठहर जाओ ।
साथी इस अधूरी ज़िंदगी को,
अब मुकम्मल कर जाओ ।।
#1561 💔 ~~अंकित-
हर पल ज़िंदगी खत्म हो रही है,
जीने के दिन कम हो रहें हैं।
उम्र बढ़ रही है हर रोज,
और ज़िंदगी सिमट रही है हर रोज।।
इंतजार है, कि खत्म नहीं होता।
बहुत तड़प के बाद भी, सबकुछ हासिल नहीं होता।।
चेहरे पर मुस्कान लिए फिरते हैं।
अब कैसे कहें, कि हम भी मायूस होते हैं।।
#1559 ~~अंकित-
दिन का सुकून और रात की नींद,
सब तेरी बातों में बीते!
तूं बैठा रहे मेरे पास में,
और मैं रहूं तुझे अपने ख्यालों में समेटे !!
#1558 ~~अंकित-
🍁शायद ये बेहतर होता🍁
काश तुझे भूल जाना आसान होता,
काश तू मिला ही न होता।
या फिर सबकुछ सिर्फ तू होता,
या तू कहीं न होता।।
#1557 ~~अंकित-
थके हुए इंसान को
आराम मिल जाए,
तपते हुए को छांव मिल जाए।
यूँ तो मिलते हैं
सफर में तमाम लोग,
जब कोई अपना सा लगे,
तो ज़िंदगी में सुकून मिल जाए।।
#1556 ~~अंकित-
न जाने कितने गए वहां,
जो आज तक लोट कर न आ सके।
थमा तो कुछ नहीं उनके जाने से,
लेकिन उनके जाने के बाद कुछ लोग जी भी न सके।।
#1555 ~~अंकित-
कुछ इस कदर मिला मैं तुझसे,
कुछ इस कदर मिला मैं तुझसे।
कि इक तेरे मिलने के बाद,
फिर नहीं मिला मैं खुद से।।
#1553 ~~अंकित-