मैं जब भी उसे भुलाने बैठता हूँ ,
मैं फिर उसे अपने और क़रीब ले आता हूँ.
सोचता हूँ की काम का बोझ कितना होगा ,
कि उसे भुलाना थोड़ा आसान होगा.
इस दरमियाँ ...
मैं चाय से कॉफ़ी पर शिफ्ट हो गया,
देखते ही देखते मैं दूसरो के साथ म्यूट हो गया.
पर जब भी,
ब्रेक लेता हूँ ,
हर-बार की तरह वो याद आ जाती है.
मैं ये जानता हूँ ,
अब वो नहीं आयेगी ..
फिर क्यों मैं उसे सोचने बैठता हूँ ?
ये सोच मैं उसे फिर भुलाने बैठता हूँ
मैं उसे और अपने क़रीब ले आता हूँ !
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