अनकही दास्तान   (Dolly Gurnani)
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Joined 6 August 2018


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वो शिव हैं
बचाने पर आए तो हलाहल पी जाए।
मिटाने पर आए तो रौद्र महाकाल बन जाए।
वो शक्ति हैं
सृजन पर आए तो मिट्टी से विघ्नहर्ता बनाए।
मिटाने पर आए तो कालिका दुर्गा बन जाए।
पूर्णता जिनकी पर्यायवाची बने
प्रेम सिखाने पर आए तो अर्धनारीश्वर बन जाए।

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धरा सी सहनशीलता
त्याग का स्त्रोत
कुछ ना हो तुम में
तब भी खास हो तुम
बस ये जानना तुम
और निभाना पूरी निश्छलता से प्रेम
पहले खुद से

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व्यक्ति खुद से संतुष्ट हैं।

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और
मुस्कुराते दिल
काश एक ही होते।

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कुछ दर्द,
हमारा पीछा नहीं छोड़ते।
और
कुछ दर्द का,
शायद हम...

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के आगमन पर,
थोड़ा सहज हो जाना।
राम राम चिल्लाना भले मत,
बस राममय हो जाना।
त्याग ना करो भले राज्य का,
मर्यादा का बस ध्यान रखना।
समंदर भले ना पार करना,
पर पत्नी के सम्मान के लिए लड़ जाना।
ना राजा बन ना, ना उसे रानी बना ना,
पर उसके सिवा किसी पर दृष्टि ना उठाना।
भले रामायण ना पढ़ो, पर ये सबको बताना,
कि श्री राम ने मां सीता को कभी नहीं त्यागा।
ये सब, कुछ लोगों ने जोड़ा हैं
सियाराम की गाथा को मर्जी से मोड़ा हैं।

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चुनकर उसे
जिसने,
तुम्हें ना चुना हो...

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कह दो, पर किस से
क्या समझने वाले को
जरूरत पड़ती हैं शब्दों की।
और जो बेवकूफ हैं उसे
कहने से समझ आ जायेगा?

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वो सुन ने को जो
आंखे तुम्हारी कहती हैं...

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मौसम से ज्यादा
लोगों को बदलते हुए।

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