सपनों की एक खास बात यह है कि
हम इन्हें दोबारा देखने की हिम्मत कर सकते है।
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Anthophile🌸
उसे डर लगता है
उसकी ज़िन्दगी अपनी माँ जैसी ना हो
इसलिए वो नहीं करती अनदेखा
अपने अंतर्मन में पनपे संदेहों को
या नहीं करना चाहती समझौता
किसी अच्छी ना लगने वाली बात से।
वो निर्भीक फैसले करती है
अपनी जीवन में शांति की कामना लिए
और नकारती है "लोग क्या कहेंगे" की प्रथा को।
वो रहती है औरों की अनर्गल बोलती ज़बानों से दूर
या यूँ कहे उसे भय नहीं उन आँखों से
जो सिर्फ औरों को देखना जानती है
जो आँखें अपनी हारी ज़िंदगी को देख परेशान,
तोड़ देती है अपने घर के सारे शीशे,
और फेर लेती है नज़रे यथार्थ से।
उसने कभी नहीं देखा
उन बड़बड़ाती जुबानों और घूरती आँखों को
उसके घर के आंगन में आकर बैठते
या अपनी आंचल के खूँट से
उसकी माँ के आंसू पोछते।
उसने देखा असहायता में उन्हें निर्वाक रहते।-
झूठ के कपटी काले बादलों की ओर उन्मुख
ज़िद्दी पंछियों में उड़ान भरने की हिम्मत हो
गम्भीर गरजते मेघों के जमघट के परे उन्मुक्त
किसी वृक्ष की ऊंची शाख में, निर्भीक कंठ से गूंजती,
'उम्मीद' की मधुर अदम्य गीत हो ।-
मनुष्य जब ईश्वर की आँखों में झांकता है
उसकी आँखें ब्रह्मांड का विकराल रूप देख झुलस जाती है।
वो देखता है...
पहाड़ों से बहती निष्प्राण पृथ्वी
की आंसुओं सी तिव्र ज्वाला
मासूम वनों की हत्या
लहू-लुहान पेड़ों की व्यथा
विशैल वायु मेंं घुटते पंछियों की चीखें
प्रवाहहीन नदियों की सिसकियाँ
अधखिले कुचले फूलों के आर्तनाद
तड़पती मछलियों की अंतिम साँसे
निर्बल पशुओं का क्रंदन
अपने संतानों के निरस देहों को जकड़ी
अग्नि में जलती एक आहत माँ
और चुटकी में लुप्त होता जीवन।-
पहले फूलों को पेड़ों से तोड़
अपनी नाज़ुक उँगलियों से
बेवजह मसल देते थे,
तितलियों को पकड़
उनके पंखों को फाड़
रंगों को बिखेर देते थे,
कम पानी में सुन्दर मछलियों के
घुटन को अनोखा खेल समझते थे,
जीवन के लिए लड़ते
नन्हें पौधों को राह चलते कुचल देते थे।
कभी खुद से नहीं पूछा क्यों?
किसी की पीड़ा में प्रसन्नता खोजते थे
अपनी मानसिकता का गठन
निष्ठुरता से क्यों करते थे।
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उन्हें मेरी हर बात पर भरोसा होता रहा
शब्द नमियों को छू ओझल होता रहा
जो लफ्ज़ पूरी ज़िंदगी दोहराए थे मैंने
आखिरी खत में भी वही बातें लिखे थे मैंने।-
पीली धूप में सबसे अधिक चमकते
आधी रात खिलते फूल
किरणों से बिना आस लगाए जन्म लेते
आधी रात खिलते फूल
एक अनोखा समय खोज लेते
आधी रात खिलते फूल
उत्सव, अनुष्ठान, समारोहों रहित
श्वेत,शांत,साधारण रूप धारण कर पृथ्वी पर आते
आधी रात खिलते फूल
अपने यातनाओं को काली रैन छुपाते
आधी रात खिलते फूल।
औरों को उनके अस्वाभाविक समय
खिलते जान आश्चर्य होते देखते
आधी रात खिलते फूल
गैरों की नापसंदी से मालूमात रखते
आधी रात खिलते फूल
लोगों को सिर्फ सफलता देखना लाज़िमी है
वे संघर्षों से तालुकात ना रखते
इस जहनियत से भलीभाँति वाकिफ़ रहते
आधी रात खिलते फूल।
लक्ष्य तक पहुँचते
ना इस निष्ठुरता पर सवाल उठाते
ना स्वार्थपरता पर शिकायत करते
आधी रात खिलते फूल
अपने जन्म पर्यंत तजुर्बे से
आत्मनिर्भरता के उसूल सीखाते
आधी रात खिलते फूल।-
औरत शादी के बाद
सबसे अधिक लाचार होती है।
उसका आत्मनिर्भर रहने
या पराधीन होने से
उसकी स्थिति पर प्रभाव नहीं पड़ता।
प्रभाव पड़ता है उसके मस्तिष्क पर
उन रिश्तों पर जिन्हें वो तोड़ना नहीं चाहती
इसलिए सजाती है अपने आकांक्षाओं की चिता।
या अपने आत्मविश्वास को इकट्ठा कर
जीवन से प्रेम को त्याग,
रिश्तों को तोड़ जाना भी चाहे तो
मुफ्त में मिलती है मौत सी निष्ठुर अनुकंपा।-
अपनी कमियों को स्वीकारती
जीवन के सबसे भ्रमित स्थितियों में
कलम को ज़ोर से थामती
लड़खड़ाकर गिरने के डर से
लिखना नहीं छोड़ती।-
अलग हो गए
सालों इन्तेज़ार के बाद
'इन्तेज़ार' से हार गए
दूर रहकर एकदूसरे की कीमत समझ गए
'प्यार' हार गए।-