कभी रातभर करवटें लेते रहे,
तो कभी दिन में नींद नसीब आई,
कभी अकेलेपन से दोस्ती कर बैठे,
तो कभी भीड़ भी कतरा भर न सुहाई।
यूं तो ज़माने भर के ज़ख्म भर गए,
एक उस ज़ख्म का बस भरना ज़रा रह गया,
जिसकी शोख़ी का जश्न हम मनाते रह गए,
और वह कमबख्त हरा का हरा रह गया।।-
आज फिर बेवजह कुछ बचकाना कर दिया,
आज फिर दिल को थोड़ा आज़ाद किया,
अब वापस बेड़ियां कसनी पड़ेंगी,
आज फिर मैं ज़िम्मेदारियों से भाग लिया।
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एक आंधी है जो थम चुकी है,
और एक हवा का झोंका है जो रुकने का नाम नहीं लेता,
एक आग है जो बुझ चुकी है,
और एक लौ है जिसे मैं बुझने नहीं देता,
युं तो कईं सपने हैं जो दफ़न हौ चुके हैं,
नींद तो बस एक ज़रिया है सबसे दूर भागने का,
रोज़ रात आंखो की कशमकश जारी रहती है,
पर न जाने कमबख्त ऐसा क्या है जो सोने नहीं देता।
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मेरी मौजूदगी का कुछ ऐसा है सेहर,
जिस्से मैं खुद लापता हूं,
लोगों को पास ले आती है मगर,
उन लोगों में मैं नामौजूद होता हूं।-
एक शोर ऐसा भी होता है,
जो सन्नाटे में ज्यादा उभर कर आता है,
और उसपर वो अपार खालीपन,
जो उस गूंज की आग को और हवा देता है।
भरी महफ़िल में बिन बुलाए आ जाता है,
और खींच के सबसे दूर कहीं ले जाता है,
और उसपर वो काला दरपन,
जो सारी पुरानी गलतियां दिखाता है।
सारी रातें काली करता है,
एक पल को न चैन देता है,
और उसपर वो अधूरा सपन,
जो पल भर की झपकी भी तोड़ जाता है।
एक शोर ऐसा भी होता है,
जो सन्नाटे में ज्यादा उभर कर आता है।।-
बर्सों तक यूंही चला तन्हा,
दर दर भटका, था मै जैसे कोई काफ़िर,
एक रास्ता दिखा, उम्मीद ने कहा,
मिल जाएगी तुझे मंजिल आखिर।
करी आंखें बंद और चल पड़ा उसी उम्मीद के साथ में,
जीत तै है मेरी, चीख-चीख कर दिया दुनिया को ज़ाहिर,
बीच सफ़र, आराम किया सोच के काफ़ी समय है हाथ में,
नींद खुली तो पता चला, रास्ता और उम्मीद दोनों ही ना-हाज़िर,
बस फिर क्या था, आंसू पोंछे, कपड़े झाड़े और फिर चल पड़े,
क्योंकि हम काफ़िर तो बनें ही हैं सफ़र की ख़ातिर।।
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तुम्हारे बारे में उस रोज़ लिखूँगा,
जिस रोज़ तुम्हे भूलने की ठान लूं...
वरना सच पूछो तो,
रोज़ दिल करता है तुम्हारे बारे मेँ लिखूँ,
सालों से दबी जो दिल में बातें हैं,
उन्हें खुल कर सांस लेने का मौका दूं,
पर यह मेरा डर ही है जो मुझे रोकता है,
कहीं मैं आज़ाद न हो जाऊँ,
वो अनकही बातें अगर कह दी गई,
तो कहीं मैं तुम्हे भूल न जाऊँ,
नहीं अभी नहीं, थोड़ी देर और,
उसके लिए अभी मैं तैयार नहीं हूं,
इसीलिए तुम्हारे बारे में उस रोज़ लिखूँगा,
जिस रोज़ तुम्हे भूलने की हिम्मत जुटा लूँ।-
Dear Hermione Granger,
I want to thank you for being the way you are. Your curiosity to know everything and never hesitating to show everyone whatever you know without giving a damn about being called Ms. Know-it-all.
I never saw you as a Mudblood but the best witch in the whole of Hogwarts and in the whole of the world.
Yours Loving and biggest fan ever,
Mr. Smarty Pants
P. S.- You be my first star-crush ever.-
सपने वह तारे नहीं, जो बस मीलों दूर से देखें जाते हैं, बिना किसी मिलने की आस के,
यह तो दादी का वो स्वेटर है, जो वह रोज़ थोड़ा-थोड़ा बुनती हैं, इस उम्मीद से कि वह एक दिन पूरा ज़रूर होगा।
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इतना तो मैंने ज़िंदगी को भी न चाहा,
जितनी शिद्दतों से तुम्हे चाहा है,
अब तो यह भी याद नहीं,
के कितनी मुद्दतों बार तुम्हे मांगा है।
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