Ankaj Rajbhar   (Ankaj Rajbhar)
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Joined 16 February 2021


Joined 16 February 2021
28 FEB 2022 AT 18:46

लिवाज़ में ऐसी शरीर ढकाऊ ओढ़े जो चुनरी बन जाऊं
नारी का अभिमान हु मै हां हां एक साड़ी हु मैं

सोलह श्रृंगार के सजती नारी न पहने तो अधूरी लगती नारी
नारी का हर श्रृंगार हु मै , हा हा एक साड़ी हु मैं

बखूबी हर किरदार निभाऊ जो भी पहने मैं शोभा बढ़ाऊ
बहन भी पहने माई भी पहने और किन्नर को भी खूब सजाऊ

लाल जोड़ा बियाह मे लगता पियरी का भी नाम है चलता
त्योहार की हर शोभा हु मैं हां हां एक साड़ी हु मैं

कृष्ण की जब थी उंगली कटी तब पट्टी के भी काम मैं आई
अस्त्र भी न आया काम वहा पर जहां कृष्ण ने साड़ी से थी लाज़ बचाई

कृष्ण ने ऐसे साड़ी का था कर्ज़ चुकाया एक नारी का था मान बचाया
हर नारी का सम्मान हु मैं हां हां एक साड़ी हु मैं


© _Ankaj Rajbhar 🥺— % &

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31 JAN 2022 AT 15:43

यू तो दिलों का गम किसी से छिपाए नही छिपता
बस इक तू ही अजीब चीज़ जिसे कुछ भी नहीं दिखता

और मोहब्बत में ये दिल टूटे कई बार है सनम
मर्ज की दवा तू ही नज़र आए बस तुझे ही मरहम नही दिखता

और रात को मेरी आखें लाल हुई है रो रो कर
रोते हुए में सबको दिखता हु बस तुझे ही मैं शराबी दिखता


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29 JAN 2022 AT 12:54

मौसम बीते कई मगर ये सावन बीते धीरे धीरे
रात कटे न तेरे बिन ये दिन भी बीते धीरे धीरे

इश्क में तेरे तड़पा हु मैं, मुझसे दूर गई हैं तू जो
हरदम रोया दिल है मेरा सिसक सिसक धीरे धीरे

सपनों में तुम आई थी जब हल्की सी मेरी आंख लगी
आंख खुली तुम साथ नही तब नैन बहे मेरे धीरे धीरे

प्यार के कोरे कागज़ पर मेने बस दो बात लिखी
उसका भी दिल कहर उठा फिर कहा कहर कहर धीरे धीरे

मै हु पागल तू थी पागल पर मैं पागल बनकर ठैहरा हूं
बीत गया तेरा पागलपन,पर तेरा दीवानापन करे पागल मुझे धीरे धीरे

चूड़ी कंगना बिंदिया उसे तू पायल की छनकार सुना
वो भी मुझसे उब से गए है अब नए यार बना तू धीरे धीरे

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26 JAN 2022 AT 16:36

**गीत**
दिल के पास तू है मगर दिल से मेरे नाराज़गी
खुशियों में तेरी खुशियां है मेरी बात मेरी क्यूं न मानती
सवाली सूरत जो तेरी देखू सवेरे रोज़ मै
घर के सारे आईने में तेरी ही तस्वीर लगी

दुप्पटा जो सरके सर से तेरे आवारा दिल मेरा हुआ
बंजारा दिल मेरा बने जब देखू ये नज़रे शरारती
कोमल योवन अधर तेरा देख चांद ज़मीं पर उतर आए
आवारा बनके घूमे वो भी मोहब्बत में छलके नदांनगी

ख्वाबों ख्यालों में इस्कदार तुम सनम छाई हुई हो
सारे ख्वाबों ही ख्यालों में दिखी मेरी बस दिवानगी
दिल के पास तू है मगर दिल से मेरे नाराज़गी

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23 JAN 2022 AT 11:38

तेरे नज़रों ने मुझसे शिकायत कुछ अजीब सी की है
किसी करीब ने तेरे मुझे छोड़ने के लिए क्या तरकीब दी है

ऐसे खेल मेने भी खेले बहुत है जा कर के बता देना तू उसे
और जिस रकीब के पीछे वो पहले पड़ा था कभी हमने भी उसको यही हिदायत दी है

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22 JAN 2022 AT 17:06

रात को मैं न सो पाया जो सपनो में तुम आती थी
साफ झलक रहे थे दर्द मेरे उसमे भी तेरी बेवफ़ाई थी

चूड़ी कंगना पायल बिंदिया तेरे आखों के काजल ने तो कहा ही होगा
इक सनम इंतजार कर रहा है तेरा उसे रात को भी नींद न आई होगी

वो चैन से उधर कही सोई होगी मैं कहर कहर कर जग उठा
मै सोच सोच कर सो न पाया उसके आखों की जो गहराई थी

गले लिपटकर वो कुछ कह रही थी गैरों के कंधे पर सर रखकर
उसी रकीब के चक्कर में मेरी उससे हुई लड़ाई थी

रात को मैं न सो पाया जो सपनो में तुम आती थी
साफ झलक रहे थे दर्द मेरे उसमे भी तेरी बेवफ़ाई थी

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21 JAN 2022 AT 18:33

साथ निभाने का जिसने जन्मों जन्म कसम खाया था
बीच राह में ही छोड़ गया वो मुझे जो कभी भरोसे के लायक था

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21 JAN 2022 AT 18:11

साथ निभाने का जिसने जन्मों जन्म कसम खाया था
बीच राह में ही छोड़ गया वो मुझे जो कभी भरोसे के लायक था

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21 JAN 2022 AT 15:13

गीत गजलो से वो आशिकों की महफिल में शोर करती है
इश्क का तो पता नहीं लेकिन वो बेशक कुछ ओर करती है

आशिकों की गलियों में उसके प्यार के किस्से बोहोत
यार उसके कई मगर वो मुझे ही बदनाम करती है

गुमनाम गलियों में मै उसके खड़ा हु आशिक इकलौता
किसी ओर के गले वो पड़कर शायरियो की बौछार करती है

मैखाने में मैं हस हस कर उसके प्यार भरे गीत सुनाता हु
वो वफा क्या जाने जो सारे बेवफाओ वाले काम करती है

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19 JAN 2022 AT 20:54

ये मै कहा चला जा रहा हु ज़रा मुझको रोको तो कोई
उसके ख्वाबों में ही डूबा जा रहा हु ज़रा मुझको रोको तो कोई

आखों में उसके मदिराओ की जलधारा बही जा रही है
मै उसके हुस्न के जाल में शराबी बना जा रहा हु ज़रा मुझको रोको तो कोई

दिल जानता है मेरा कि उसके बनते हैं रोज़ शिकार यहां
मै उसका अब शिकारी बना जा रहा ज़रा मुझको रोको तो कोई

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