आवाजों का शोर हैं,
फिर भी लफ्ज़ खामोश हैं।-
नाम है, मगर..... बदनाम हैं।
इसलिए हम आज गुमनाम हैं।
जिनको जान समझते थे हम,
उन्होंने भी जान लेने में,
कोई कसर नहीं छोड़ी।-
मर हम भी गए, मरहम की तलाश में,
मरहम न मिला।
हम दम से गए, हमदम की तलाश में,
हमदम न मिला।।
-
तुम क्या जानो इस मोहब्बत की पैत्रेबाजी,
तुम्हे प्यार चाहिए, और हमे तेरी सलामती।-
तेरे कदमों के निशा भी मिटा दिए उस समंदर ने,
जो एक रोज तुझे पकड़ने चला था।-
इंसान का भरोसा टूटने की आवाज नही होती,
लेकिन उसका शोर चैन की नींद सोने नही देता।-
मत रोया करो उनकी याद में,
ए गालिब।
हर वक्त मोहब्बत का साथ होना,
मुमकिन तो नही।।-