बातें तो बहुत हैं पर कभी कह ना सके कहना चाहा भी जब जब तुम सुन ना सके सोचा ख़ामोश लबों को ही पढ़ जाओगे तुम पर नायाब इन कोशिशों को भी अंजाम तुम दे ना सके 😮
कैसा घाटा और कैसा मुनाफ़ा रिश्तों में व्यापार नहीं ये रिश्ता है कुछ फ़रिश्तों सा हो जाते हैं गिले शिकवे पर बात ज़रूर कीजिए...... 🌿🌿🌻🌻🌿🌿 सुलझता है रिश्ता सुलझाने से बनता है रिश्ता बनाने से न हो सुबह से शाम यारों बात ज़रूर कीजिए दरारें भी भर जाती है एक दिन क़ोशश ज़रूर कीजिए
गुज़रा वक़्त लौटकर दोबारा कभी आता नहीं झड़ जाते हैं जो पत्ते शाख़ से फिर कभी आते नहीं जी लो आज के इस वक़्त को जी भर आनेवाला वक़्त हँसाएगा या रुलाएगा ये भी पता नहीं