anjukumari thebornfire   (Anju kumari "Anjum")
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Joined 2 June 2020


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27 JUN 2022 AT 0:16

जन्म जब तूने लिया मेरा भी जन्म नया हुआ
औरत से माँ बनने का सफर तय कुछ यूँ हुआ
तेरे रोने में रोना अपना भूल गए, मुस्कुराहटों को
तेरी अपनी खुशी मान लिया खुद को भूल गए
बस याद तू ही रही दिन से रात रात से दिन
कब हुआ ये याद नही,बड़े बेसब्र थे हम
तूझे बड़ा करने में अब सोचते हैं तू बड़ा ही कयूॅ हुआ
समय निकलता गया हाथों से रेत की तरह
खुशी देने की कोशिश तो अपनी खूब रही
पर तेरे लिये हमेशा कम ही रही
रिश्ता माँ बेटी का कुछ ऐसा ही रहा
विश्वास का धागा इतना कमजोर हुआ
एक झटके से ही ऐसा टूटा एक छोर इधर
दूसरा उधर जा गिरा कि गिरह के साथ भी
जुड ना सका कि गिरह के साथ भी वो धागा जुड ना सका
पर एक आस है अब मेरी जिस जगह आज मै खड़ी हूँ
वो जगह हो तेरी आंखों से जो आँसू बह रहे हैं मेरी
वो आँसू आंखों जगह लें आंखों मे तेरी
शायद तब तूझे भी तब मेरी स्तिथि का अहसास होगा
पर तब तलक तेरे पास अफसोस के लिये कोई ना होगा
औलाद माँ बाप के लिये क्या होती है ये तूझे कोई तो समझाएगा,वो वक्त देर से ही सही पर आयेगा
उड़ान उंची ह बहुत जिन्दगी का कुछ वक्त तो निकल जायेगा
पर ढलान जिन्दगी का तुझे उस मोड़ पर तो लाएगा
जहां मेरे दर्द का अहसास तुझे भी हो जायेगा
अन्धेरे कमरे में रोकर जो गुजारी है रातें हमने
असर उसका खाली कभी ना जायेगा
हो सकता है ये देखने को हम रहे ना रहें
गुजरा वक्त तुम्हें याद बहुत आयेगा.........।

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12 DEC 2021 AT 5:34

साथ है विश्वास नहीं
परायापन में परिवार नहीं
अकेलापन है आस नहीं
सबमे दूरियां, कोई पास नहीं

साथ है विश्वास नहीं
रंज बहुत, आभास नहीं
दंश है आराम नहीं
नीरस जीवन में रन्ग नहीं

साथ है विश्वास नहीं
ह्रास में विकास नहीं
मौन है वार्तालाप नहीं
भूत है भविष्य नहीं

साथ है विश्वास नहीं
सब पीछे,आगे की बात नहीं
बंधक हैं,उन्मुक्त नहीं
गलती का ,सुधार नहीं

साथ है विश्वास नहीं
अन्धकार सब प्रकाश नहीं
दंभ है विनम्रता नहीं
बेताल सब कोई ताल नहीं

साथ है विश्वास नहीं ....।

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7 DEC 2021 AT 1:54

तुम तो गए,
तुमको राम राम
चाटुकार कर रहे
नये को सलाम

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7 DEC 2021 AT 1:44

चोर चोर मौसेरे भाई
इन्होंने एक सेना बनाई
सेना का राजा मनहूस
मंत्री सारे चपट चापलूस
आगे उसकी करे बढ़ाई
पीछे से कुर्सी सरकायी
सब लेते राजा से बड़े मजे
ताकि काम न करना पड़े
कुछ सैनिक थे मौकापरस्त
समय पर धोखा देते जबरदस्त
प्रजा सारी दुखियारी थी
पर बेचारी न कुछ कह पाती थी
क्रूर था राजा हरजाई था
जवान का कड़वा कान का कच्चा
सोच समझ ना कुछ पाता था
चाटुकारिता थी बहुत पसंद
बस तारीफें से सुनना चाहता
ताकत का था बड़ा घमंड
पर सबका हो गया अंत
सिंघासन डोला,राज हुआ खतम,
खुल गई बेडियाँ ,टूटा ना उसका फिर भी भरम
दुख जो दिया था उसने सबको
जब पाया खुद्ने उसको
समझ में आया खुदा नही वो
बददुआ थी अब झोली मे उसकी
दुआ तो ली कभी नहीं किसी की
सबने उसका साथ था छोडा
चाटुकार अब खायेंगे कोडा
राज्य ऐसा हो जहां प्रजा सुखी हो
छोटा बड़ा कोई ना दुखी हो

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1 OCT 2021 AT 16:49

वो गुजरे रास्तों की तरह खो गया है
अब नजारे हैं लेकिन वो कहां है
चले थे साथ साथ सालों तलक पर
अब लगता है कि एक दुसरे को जानते नहीं है

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1 OCT 2021 AT 16:40

एक सरमाया जो लगता था कि मेरे सर पर है
पर पता चला वही मेरी इज्जत को तार -तार कर रहा

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1 OCT 2021 AT 16:36

जिंदगी आजकल कुछ ऐसी हो रही है
जिंदगी आजकल कुछ ऐसी हो रही है
कि जाने कितने मनो बोझ रोज ढो रही है

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30 SEP 2021 AT 21:48

Desh ke liye jina ,desh ke liye marna
Yahi h kaam humko,hume yahi h karna
Jo nazar uthe dusmano ki to ,us mazar ko mod denge.
Jo uthe hath ,use jhatke me tod denge.
Satya aur ahimsa jarur h humne apnaya,
Par dushmano ko bhi h dhool me milaya .
Raho hoshiyaar e watan valon,bekhabri ka ye chola utaro
Badi mushkil se ki h humne azadi desh ki,
Ise na halke me lo, na balidan azadi ke parvanoo ka bhool dalo,sabhi chizoo se jaruri azadi h.Gulami ka sabak na phir se padhna h
Bas tai kar lo.

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16 SEP 2021 AT 22:31

हिंदी भाषा नहीं संस्कार है
विचारों का मूर्त आकार है
भावनाओं को करती साकार है
संस्कृति का भंडार है
रचनाकारों का हथियार है
हिंदी मेरा प्यार है
जैसी बोली जाती है
वैसी जाती है लिखी
यह संस्कृत का अवतार है
अलंकारों से सजी-धजी
बन जाती चमत्कार है
लोगों को लोगों से जोड़ती
यह बंधन वाला तार है
हिंदी मेरा प्यार है
मां से अपनी सीखी हमने
इसमें ममत्व का संसार है
देवनागरी लिपि है इसकी
हमारी शिक्षा का आधार है
जो इसके रस में डूबा है
यह बन जाती उसका प्यार है

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16 SEP 2021 AT 19:54

अफसोस बहुत है हमें,झोली हमारी खाली है
कुछ कमा न सके हम,हर रिश्तरिश्ते ने दी गाली है
दर्द सह कर पाला जिसको,दर्द देता गया वो लाल और लाली है
उमीद नहीं थी पर फिर भी एक आस पर हम जिन्दा थे
आंखें खुली जब , तब हम शर्मिंदा थे ।

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