ये तो नज़र की बात है,
कभी इधर तो कभी उधर की बात है,
खमोशियो से गुजर कर निकली,
ये उम्र की इस शज़र की बात है,
हाथ पकड़ो साथ चलो तो कुछ क्षण,
मंजिल से अलहदा ये उस सफर की बात है,
मरहम से वाकिफ होगे अब तलक तुम शायद,
मगर ये तो उनके जख्मों की बात है,
कहानी, जिसके तुमने पढ़े है हर- सू ,
ये उस शायर की कलम की बात है,
अब अगर आ चुके हो आखिर तक मुसाफिर,
तो यहीं ठहरो....की यही हमारी पहली मुलाक़ात है।
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