ANJU NIGAM   (Anju Nigam (aryan))
1.5k Followers · 10 Following

Written by me but irrelevant to my life.
Jzt imagined
alfaaz324 at insta
Joined 24 April 2019


Written by me but irrelevant to my life.
Jzt imagined
alfaaz324 at insta
Joined 24 April 2019
3 MAY 2023 AT 17:27

Simplicity does not contribute to down status, rather,it is a lifestyle.
Simple person can be from higher status than your's.

-


1 MAY 2023 AT 10:03

मिलता गर मौका तो कुछ शिकायतें करती,
गर आप यहां होते तो बात ही क्या होती।
हार जाती कहीं खुद से ही अगर,
तो कंधे पे सिर रखकर खूब रोती,
गर आप यहां होते तो बात ही क्या होती,
कभी लड़ती,झगड़ती,कभी गुस्सा होती,
गर आप यहां होते तो बात ही क्या होती ।
माना खुशियां हैं बहुत, हर तरफ़ मेरे,
मगर आप यहां होते तो बात ही क्या होती।

-


18 SEP 2021 AT 16:16

गर गिन ने पर आजाऊं,
तो शाम तक तेरी
सौ गलतियां गिनाऊं,
मगर फितरत नहीं ये मेरी
यूं सजे सजाए रिश्ते को
एक बेकार सी आदत की
नज़र लगाऊं।

-


15 SEP 2021 AT 14:31

Stick to those people who loves and stay with you without thinking their benefits

-


25 JUN 2021 AT 22:00

रिश्वत देने को नहीं,
ना लेने को आदर्श बनाइए,
क्योंकि आप देने के लिए
जितने मजबूर हो सकते है
उतने लेने के लिए नहीं।

-


17 MAY 2021 AT 14:07

Education with good etiquettes is itself a beauty,
Don't compare it with physical beauty.

-


13 MAY 2021 AT 2:32

ना मैं सावन और ना ही कोई झड़ी हूँ
अकेली थी पहले भी , तन्हा आज भी खड़ी हूँ
संजोए थे कुछ ख्वाब जो पूरे नहीं हुए
जाने क्यों आज भी उनके पीछे पड़ी हूँ
माना गुजरता गया वक्त और खोते रहे हम
पर अपने अस्तित्व के लिए आज भी अड़ी हूँ
झूठ समझती है ये सारी दुनिया जिसे
वही सच मैं बस दिल में लिए खड़ी हूँ

-


4 FEB 2021 AT 14:51


I see the innocence of you
With shyness in your eyes
That respect for me
The care i feel,
conveying your love
That genuineness of you
And lot of other reasons
Enhancing your decency,
That really make me
to fall for you.


-


23 JAN 2021 AT 12:00

मैं रेत की तरह,
पानी की बूंदों सा वो।
मेरी सूखी सी ज़िन्दगी में ,
जैसे स्पर्श प्रेम का।
मैं किसी नदी की तरह,
किसी झरनें सा वो।
मिलता मुझमें,
साथ चलने को अंत तक ।
किसी गिरते सूखे पत्ते सी मैं,
थामता मुझे, ज़मी सा वो।
दूर किसी ढलती शाम सी मैं
और रात की चांदनी सा वो ।
अमावस्या से, पूर्णिमा तक
इस निराकार जीवन को
धीरे -धीरे आकार देता वो।

-


22 JAN 2021 AT 21:35

ज़िन्दगी

वक्त बेवक्त बिसात बिछाती है
ये वही है जो हमें लड़ना सिखाती है
कभी उठाती है प्यार से
कभी धम्म से गिराती है
ये ज़िन्दगी है जनाब
हर मोड़ पर कुछ सिखाती है
कभी खुशियां बेहिसाब,
कभी ग़म ही बस बरसाती है
ये वही है जो हमें लड़ना सिखाती है
कभी सिसकियों में मुस्कुराना
कभी चोट खाके चलना सिखाती है
हां ये वही है जो हमें लड़ना सिखाती है ।

-


Fetching ANJU NIGAM Quotes