दर्द प्यार का मीठा-मीठा प्यारा-प्यारा होता है, प्रेम दीवानों के दिल का ये एक सहारा होता है। जिसने प्यार किया ही न हो क्या जाने वो उल्फत को, मदहोशी का आलम यारों कितना न्यारा होता है।
कतरा कतरा मोम सी पिघल रही है ज़िन्दग़ी। लम्हा - लम्हा शाम सी ढ़ल रही है ज़न्दगी। मुट्ठियों में बाँध कर कोशिशें रखने की कीं , रेशा - रेशा रेत सी फिसल रही है ज़िन्दगी।