लोगों से चाहें कितने भी शिकवे हो
हमे माफ़ करना सीखना चाहिए
और
उन्हें विदाई, अपने सारे बुरे लम्हों को भूलते हुए ,खुशनुमा तरीके से देनी चाहिए ।
ताकि वो अपने आने वाले कल को बिना किसी हिचकिचाहट से गुजार पाए।-
लोगों से चाहें कितने भी शिकवे हो
हमे माफ़ करना सीखना चाहिए
और
उन्हें विदाई, अपने सारे बुरे लम्हों को भूलते हुए ,खुशनुमा तरीके से देनी चाहिए ।
ताकि वो अपने आने वाले कल को बिना किसी हिचकिचाहट से गुजार पाए।-
बड़ी देर से मिले हो
अब क्या केहना
बड़ी दुर पे मिले हो
अब क्या केहना
बारिश की बुन्दो मे मिले हो
अब क्या केहना
बस पास रेहना
और अब क्या केहना-
Everyone come in your life to leave you, but what matters is how they are leaving.
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यू गुरुर कर के भी तुम क्या करोगे
एक दिन गिरोगे और मेरे सीने से आ लगोगे
और छोटी सी सफलता ने तुम्हें इतना बदल दिया
ना जाने बड़ी सफलताओ के हाथ लगते तुम क्या करोगे
मासूम आँखों पे कितना प्यार आता था तुम्हारे
अब उन आँखों मे गुरुर भर कर तुम क्या करोगे
यू स्थिर मन को तुमने चंचल बना दिया
अपने कबीले से बगावत कर-कर तुम क्या करोगे
जब टूटोगे तब भी हम यही मिलेंगे
तो अभी दूर जाकर तुम क्या करोगे
एक दिन गिरोगे और मेरे सीने से आ लगोगे ।-
जाम लिए हाथों में
कई घेरे देखें है ,
किस्मतो के खेलो के
कई मेले देखें है ,
जो दिलों को झकझोर दे
ऐसी उल्फते कहा ..?
हमने ज़ख़मी हाथों में भी
खँजरो के ढ़ेरें देखें है ..।
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अपने जीवन में हम इतने वयस्त है की हमें अपने खुशियों का पता ही नहीं चलता । हम अपने परेशानियों से इतने घिरे होते हैं की उनसे कब बाहर निकलते और कब जीत जाते है इसका एहसास भी नहीं हो पाता । फिर दूसरी चुनौति में लग जाते हैं । और बस इन्ही में उलझ कर रह जाते हैं ।
तो एसी ही छोटी-छोटी जीत को जीने के लिए ईश्वर ने त्योहार बनाया है ताकि हम उन्हें जी सके ,अपने ईश्वर व अपने परिवार के साथ बाट सके और ये जान सके की हर अंधेरे के बाद उजाला होता है ।-
पहियो के संग क्या चलू रे राही
मन मेरा बौराये रे
आत्म निर्भर क्या बनु रे साथी
सड़को पे मन घबराये रे
माना की सब सुख सफल है
फिर भी मन में पीड़ा है
हुं उदास मन से मैं भी
ये जीना भी क्या जीना है
राहो में काँटे खूब मिले हैं
पांव दोनों थरराये रे
साथ किसके क्या चलु रे माही
मन मेरा घबराये रे-
" Everyone in your life will have a last day
with you and you don't even know when it will be "-