Anjana Swapnil Shrivastava  
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Joined 4 November 2017


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Joined 4 November 2017
15 FEB 2022 AT 15:58

"जन्म देने वाली मां से पालने वाली मां बड़ी होती है"
बचपन से ही ये सुनते पढ़ते आए हैं। कृष्ण की कथाओं में भी इसका वर्णन है। हालांकि निजी तौर पर मैं इस तरह मां का विश्लेषण करना उचित नहीं समझती क्यूंकि मेरा मानना है कि मां मां होती है फिर चाहे वो जन्म देने वाली हो अथवा पालने वाली। परन्तु यह भी उतना ही सत्य है कि जिसने कोख में ना रखकर, गोद में लिया हो उस मां को नमन है उसके ममत्व को नमन है।
यह सब विचार उत्पन्न होने का कारण यह है कि कल ही हमारी सोसाइटी में एक कपल ने बेटी को गोद लिया और बड़ी धूमधाम के साथ घर लेकर आए। मैं पहले इस तथ्य से अनभिज्ञ थी कि बच्चा गोद लिया हुआ है लेकिन जब मुझे पता चला तो मेरे अंदर खुशी और संतुष्टि की लहर दौड़ गई। खुशी इस बात की थी एक बच्चे को परिवार और कपल को उनकी दुनिया मिल गई और संतुष्टि इस बात की कि समाज के एक तबके में जहां आज भी ऐसी छोटी मानसिकता व्याप्त है जहां सोचते हैं गोद नहीं लेना,पता नहीं किसका बच्चा होगा,कौनसी जाति कौनसा खून होगा और भी बहुत कुछ,वहां ऐसे भी लोग हैं जो इस सब से ऊपर उठकर सोचते हैं और धीरे धीरे लोगों की सोच में व्यापकता आ रही है।
संकीर्ण मानसिकता केवल संकीर्णता ही ला सकती है। समाज एवं स्वयं का विकास करना है तो कुरीतियों, कुविचारों को त्यागना होगा।
मेरा शत शत नमन है ऐसे माता पिता एवं उनके परिवार को जो किसी अनाथ का जीवन संवार रहे हैं।

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3 DEC 2021 AT 13:37

समाज नित नई देवियां ही गढ़ना चाहता है,

देव नहीं

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25 NOV 2021 AT 16:57

बोलो

और तब तक बोलो जब तक
तुम्हारी रूह ये महसूस ना कर ले की वो आज़ाद है
अदम्य साहस ही तुम्हारा परिचय होना चाहिए
और निर्भीकता ही पहचान।

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27 OCT 2021 AT 18:47

ज़मीं से आसमां को जाने वाले
लौटकर फिर ज़मीं पर ही आते हैं

आसमां को भी ज़मीं की तलाश है...

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27 OCT 2021 AT 11:04

।विरक्ति।

आंतरिक रूप से रिक्त होने का संकेत
या
बाह्य मंडल से मुक्ति की ओर पहला कदम?

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28 JUL 2021 AT 20:32

हो सकता है वो छोटी छोटी चीजें चाहती हो
वो खुद के लिए समय चाहती हो
गाना गुनगुनाना चाहती हो
कुछ लिखना चाहती हो
या फिर बस यूं ही बैठना चाहती हो
ये सब तो हमने कभी सोचा ही नहीं कि
मां कभी 'मां' से इतर भी कुछ बनना चाहती है
चाहा तो सब हमने, मां ने तो बस पूरा किया
शायद हमें भी मां से कभी पूछ लेना चाहिए
"मां तुम तुम्हारे लिए क्या चाहती हो...?"
कोई गीत..
कोई याद..
कोई किताब..
या
कोई ख़्वाब..

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28 JUL 2021 AT 12:27

निभा ना सको जिनको ऐसी ना नजदीकियां रखना
बेशक दिल से नरम मगर मिजाज़ से थोड़ी सख्त हूं मैं
मुझसे नजदीकियां रखने में पहले कुछ फासला रखना
ज़िद जुनून और जज़्बातों में आकंठ हूं मैं

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27 JUL 2021 AT 14:45

मिल जाए जो सब रंगों में ऐसा रंग भी होना तुम

मिलना मगर उतना ही कि अपना वजूद ना खोना तुम

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1 JUN 2021 AT 13:11

बड़े बड़े मकानों में, छोटे छोटे दिल के
लोग रहने लगे इसलिए वो
"मकान"
कभी
"घर"
नहीं बन पाए...।

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23 MAY 2021 AT 20:35

मन से
उतर
जाने वालों से
मन से
बात
नहीं होती !

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