महत्वाकांक्षा अनन्त भले ही हो
लालच किंचित मात्र न हो-
दृढ़विश्वास
कार्यों को सरल नहीं
वरन् सक्षम करता है...— % &-
आकिंचन भी ना टूटना ,
झुकना भी ना तुम
समय का क्या है.....?
आया है तो गुजर भी जायेगा......
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लिए तो हमें भी था अपने संग में
जरुरत भर तक रहा वो ढंग में
समय ढलते रंग गया दूजे रंग में
अबोध सी खड़ी रह गई दंग मैं.......-
जी भरकर कोसा गया मुझको
मतलब निकल जाने पर...
परेशानी जब जब आई
जिम्मेदारी को
नाम सिर्फ मेरा यादआया.....
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काम सही है या गलत..?
किसी से पूछने की जरूरत नहीं
मन से तनिक गुफ्तगू कीजिए
यदि फिर भी मन गवाही ना दे
तो कोई दो राय नहीं है
वह काम सही हो ही नहीं सकता..….-
दिल भारी क्यों करना यारों
हारे चाहे जीते हम चारों
"जीवन" आतीं जाती सांसों का खेल
इससे क्या घबराना यारों
ख़ुश हो हर लम्हा जीना है
अगले पल का क्या भरोसा यारों
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बात की क्या बात है ...?
बात के सौ हाथ है !
लहजा कैसा है बात का..?
यही तो सारी बात है..
जो समझ गया इस बात को,
उसकी हाथों-हाथ हर बात है...-
निश्चित है हर पल का लेखा-जोखा
ईश्वर के अनुसार....
हम क्रिया योजनान्वित होते रहते
स्व चातुर्यानुसार....
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हुआ सुत तू मेरा, तुने बनाया है मुझे पूर्ण
ममत्व से साक्षात्कार हुआ, ना रही मैं अपूर्ण
पापा का लाडला, मां की आंखों का तारा है तू
भाई-बहनों का भी तो हरदम दुलारा है तू
नाम की तरह जीवन को भी अपने सज्जित करना
प्राण है तू मेरा... कुल को तू विभूषित करना
गुरुजन पितरों का सदैव तुझ पर बना आशीष रहे
सहज, सरल बन हमेशा जीवन पथ पर तू बढ़ता रहे
है कामना यही जन्मदिवस पर सदा रखो तुम ध्यान
मन में भगवत भक्ति रहे, कर्म का रखना तुम ज्ञान-