वक्त बीत रहा है
हम खड़े है वही के वही,
पर जब देखो सैलाब अंदर तो
जल ना जाओ इस रुह की आग में कही l-
सिंपल सी हु मैं इक इंसान'
चलिए थोड़ा और बताते ... read more
शहर है ये
सफर लंबा चलेगा....
खेतों की पगडंडी में अब,
ना सुकूं का पांव पड़ेगा।
गड्डे तो मिलेंगे गावों की तरह ही
पर...
मिट्टी का विराम नहीं,
कंक्रीट का कांटा चुभेगा!-
चलो अच्छा है...
कुछ रिश्तों का सफर,
थोड़ा कम रहता हैं
बातें ना सही पर,
यादों का घरौंदा तो
हर दम रहता है-
वो कहते थे.....
जो कुछ भी बना मैं,वो तुम्हारी वजह से
आज कहते हैं.....
लायक बनो कुछ,आना तभी मेरे पास!
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बरसों हो गए तुम्हे कलम उठाए
पन्नों की खुशबू
मन में कही महकती तो होगी।
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या रब्बा इस इश्क़ को,
अश्कों में ना इतना संजोया कर।
कि पलकों में आकर
फिर बार बार ना तू रोया कर।।
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तिनके भर का रोग हुआ ओर महामारी छारी है
अभी ठहर जा रे मानव,समर की लहर भी आरी है-
सुनो.......
वादा करो निभाओगे मेरा साथ
हर पहर के ढलने के बाद...
शिकायतें है, क्यों छोड़ जाते हैं साथ
तुम अगर जाना तो, मेरे मरने के बाद..
हर सुबह हो मेरी, तेरी सांसों के साथ
वादा करो...
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मौत से पहले क्यों ना
अपना जनाजा उठाए,
उस चाहने वाले को ही सही
अपनी मौत का तमाशा दिखाए-
दरख़्त ए दिल भी क्या खूब बंद किए साहेब
पर हवा को क्या कोई रोक पाया है,
वरक तो तेरा भी, कुछ हिला ही होगा...-