Anjana Jain   (अंजना)
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Joined 26 May 2021


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12 MAR 2023 AT 19:17

बस कलम से ताल्लुक रखती हूं
अपने दिल की बात को लफ़्ज़ों में बयां करती हूं।

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10 FEB 2023 AT 15:24

सुबह की ओस से लिपटे गुलाब सी हो!!🥀
मेरे ख्याल में आने वाले वो पहले ख्वाब सी हो!!❤️

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8 FEB 2023 AT 15:34

चांद भी जलता होगा तेरा हुस्न देखकर,
अब तेरी चमक देखकर सूरज का जलना बाकी है!!

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6 JAN 2023 AT 16:01

इस ठंड में अपने जज़्बात बर्फ़ न बनने देना.....
कुछ बेसहारा, बेघर लोगों के लिए भी अपने दिल में जगह रखना.....

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14 OCT 2022 AT 7:53

बस तेरा साथ

न मांगू गले का हार!
न मांगू सोलह श्रृंगार!
बस चाहूं बाहों का हार!
और न मांगू कोई उपहार!!

क्या इतना तुम दे पाओगे?
प्रीत की रीत निभा पाओगे?
अपनी सजनी बना के सजना,
पलकों पर तुम रख पाओगे ?

वादा इतना करती हूं मैं!
मेरी दुनिया तुम और मैं!
चाहे कितने तूफा़ं आए!
न छोडूंगी साथ ये मैं !!

साथ तुम्हारा जब से पाया!
मन मधुवन सा खिलता पाया!
अब न परवाह दुनिया की है!
तेरे बिन मुझे कोई न भाया!!

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5 OCT 2022 AT 13:11



सुनो आज रावण दहन मत करना, उससे पहले अपने अहम का दहन करना !

बांधना गठरी क्रोध और लोभ की, बेईमानी, कपट, अहंकार की!
डालना ईंधन जलन, ईर्ष्या का,
बनाना पुतला! अपने अहम भाव का!

फिर रखना समक्ष मन राम के तुम,
फिर करना सर्वस्व स्वाहा बुराइयों का!

पर इसके अलावा कोई अन्य रावण दहन मत करना !
सुनो आज अपने अहम का दहन करना !
शुद्ध मन से फिर तुम राम नाम जपना!🙏

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14 SEP 2022 AT 19:59




मेरे भारत की गौरवगाथा का गान है हिंदी।
जन जन की भाषा और अभिलाषा है हिंदी।
जो जोड़े जन जन को,और जोड़े हर जीवन को,
वो सूत्रधार है हिंदी।
हिंदुस्तान इसका हृदय है,तो जीवनरेखा है हिंदी।
है अभिमान मुझे तुझ पर,
तू ही तो इस मिट्टी की शान है हिंदी।
तू सुरम्य है, तू सुगम है,
तू अनूठी अनुपथ्य गमन है।
आन वान और शान तुझी से,
तू भारत के ललाट पर शोभित
जैसे लगे चमकती बिंदी।

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26 AUG 2022 AT 23:43


उस पर तेरा ये हसीन मिज़ाज
कर रहा इश्क का आगाज़
दे रहा सोई ख्वाहिशों को परवाज़
अब बस बिन डोर खिची आऊं तोड़कर हर रिवाज़ ......

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19 AUG 2022 AT 10:40

छोटा सा जीवन मेरा,
और इक बस छोटी सी चाह।
आ जाओ गोविंद मेरे,
और पकड़ लो मेरी बांह।
कितना गहरा भव सिंधु है,
मैं तो न ले पाऊं थाह।
तुम ही खेवनहार बनो
और लगा दो नैया राह।

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17 AUG 2022 AT 22:05

मैं शब्द तुम अर्थ,
तुम बिन जीना नहीं सार्थक,
लगता है सब कुछ अनर्थ... ।

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