असल में हम जब बहुत दौड लेते हैं तो ठहरना पड़ता है...
प्रेम का अतिरेक कब घृणा में बदल जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। आकाश को नापने वाला पंछी आकाश को पा लेगा तो खुद में ही सिमटने वाला कछुआ अनंत को ...! सब एक ही सिक्के के दो पहलू हैं.... एक सिरा खत्म होते ही दूसरा शुरू हो जाता है.. और जिन्दगी चलती रहती हैं..!😊
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