मैंने उसको एक दिन परेशां देखा,
लगा किसी परी को मैंने झुलसता देखा,
ना देखा गया उसकी आंखों में आंसू,
लगा चांदनी को चांद से तरसता देखा,
मैंने पढ़ी जब उसके आंखों की उदासी,
बरसात में भी फूलों को मैंने जलता देखा,
जब वो चाहकर कुछ कह न सकी मुझसे,
मैंने सूरज को बरसात में तपता देखा,
बातें की उसके पास हाथ पकड़ कर जब,
उसकी बातों में मैंने ख़ुद को तरसता देखा,
जब रोंक ना सका मैं उसकी आंखों के आंसू,
मैंने उसके पास बैठकर खुद को भीगता देखा !-
ये कैसी खलिश है , ये कैसा फ़साना है,
ये आग है दरिया की या जहालत का तराना है,
ये अंधेरा है रातों का या सूरज का डूब जाना है,
ये बंदिश है दोस्ती की या दोस्तों का दोस्ताना है,
चाहते है कुछ और ,कुछ और करके दिखाना है,
थामना है सबको लेकिन खुद ही बिखर जाना है,
ये कमी है उसकी या मेरा खुद से भाग जाना है,
ये किसी को है खुश करने की कोशिश, जिसमे खुद मर जाना है!
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"जो किए ही नहीं कभी मैंने,
वो भी वादे निभा रहा हूँ मैं,
मुझसे फिर बात कर रही है वो,
फिर से बातों में आ रहा हूँ मैं...!”
#KV-
चलो , मैं छाता बन जाता हूं,
तुम बारिश की बूंद बनोगी ना ?
इसी बहाने लोगों को तुमसे बचने के लिए ,
मेरी याद तो आएगी,
इसी जरूरत के बहाने ही; हम मिलेंगे तो सही,
नहीं मिलेंगे ,जब तुम किसी किसान के खेत में होगी,
तुम्हें मिलने के लिए सूरज से तपना होगा ,
आग से जलना होगा ,हवा में सूखना होगा,
हो सकता है पहाड़ों से टकराना पड़े ,
तुम्हें नदियों के साथ बहना पड़ेगा,
तुम्हें बादलों के साथ रहना पड़ेगा,
तुम्हें बिजलियां सहनी पड़ेगी,
तब कहीं जाकर मेरी प्यास बुझाने के लिए,
तुम मुझ पर गिरोगी, मुझे भिगो देना तुम ,
हा वो मेरे आंसू ही होंगे ,जो तुम्हारे साथ मिलकर ,
बूंद बूंद करके धीरे - धीरे तुम्हारे साथ फिर से चले जाएंगे,
और मैं प्यासा फिर से तुम्हारा इंतज़ार करूंगा .....
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Ek hai safar jo mujhe kheechta hai,
Ek hai dasta jo mujhe baandhti hai,
Ek hai shaksh jo sath chalta hai,
Ek hai kalam jo mujhe thaamti hai !!
Ek hai raat hai jo mujhe daraati hai,
Ek hai subah jo jeena shikhati hai,
Ek hai sapna jo zinda rakhta hai,
Ek hai har jo mujhe roj haraati hai!!!
Ek hai tamanna usko paane ki,
Ek hai darr use dobara khone ka,
Ek hai jashn uske sath hone ka,
Ek hai tabahi fir se bichad jaane ki!!!
Ek hai aag jo mujhe jalati hai,
Ek hai maa jo mujhe bachati hai,
Ek hai ishq jo tadpaata hai,
Ek hai god jo mujhe sulati hai....-
मैंने देखी आज एक चिड़िया,
जिसके नहीं था एक पर,
लेकिन कर रही थी उड़ने की वो कोशिश,
बार - बार गिर भी रही थी,
उड़ना चाहती थी वो ,
और पहले उड़ा भी करती थी,
आखिर क्यों नहीं है उसके एक पर,
क्यूंकि उसने अपना एक पर दे दिया था
लेकिन किसको?
अपने ही एक बच्चे को जिसके नहीं था पर,
उसे थी उम्मीद ,
ये बच्चा उसका पर लेके उड़ना सीखेगा ,
बच्चे को जब पर मिला ,उसने उड़ना सीखा,
भरी उसने ऊंची ऊंची उड़ाने,
देखी पूरी दुनिया ,जो बहुत खूबसूरत थी,
अब उसे नहीं पसंद रहना ,
उस एक पर वाली चिड़िया के साथ छोटे से घोसले में ,
उसने बनाया एक बेहतरीन घोसला ,एक ऊंचे से पेड़ पे,
अब अकेली रहती है बिना पर के वो चिड़िया ,
इस ख़ुशी के साथ कि उसके पर पाकर उसके बच्चे के पास है बड़ा घर,
बताती है बाकी चिडियों को उसका पर पाने वाला भर रहा है ऊंची ऊंची उड़ाने,
लेकिन एक दिन मर गई वो भूख से क्यूंकि नहीं थे उसके पर उसके पास,
और उसके पर भर रहे हैं आज भी ऊंची ऊंची उड़ाने🥺🙂-
मौसम की मासूमियत भी उनसे जलती है,
हवा भी उनके सामने कुछ कम ही चलती है,
चाँद तो उन्हें देख रोज़ घटता बढ़ता है,
सूरज भी उनकी वजह से अब कुछ जल्दी निकलता है,
नदियाँ उन्हें देख के ठहरने लगी हैं,
बरसात की बूंदे अब कुछ सहमने लगी हैं,
फूलों की महक अब कुछ बढ़ सी गयी है,
दोपहर की धूप भी अब कुछ नम हो गयी है,
कमल अब साफ़ पानी में खिलने लगा है,
फूल अब ख़ुद तितलियों से मिलने लगा है,
सफ़र मंजिल से बेहतर लगने लगा है,
हाय! ये मुझे क्या होने लगा है...-
तुम्हे क्या बताऊँ अपने बारे में,
खुद को ही समझ रहा हूँ मैं,
बहुत बदला है खुद को,
अब दुनिया बदल रहा हूँ मैं!
मेरी हंसी को हंसी समझती हो तुम यहाँ,
कभी अकेले में पूंछना, तुमने हंसा था कब यहाँ,
बताऊंगा तुम्हें कुछ और किस्से- कहानियाँ नयी,
फिर पूछूँगा मैं तुमसे, क्या तुम मुझको जान गयी?
अगर इतने में भी तुम मुझको समझ ना पाई हो,
लेकिन तुम मुझे अब भी जानने आयी हो,
अगर मैंने तुम्हें सुनाया खुद का अच्छा लिखा हो,
और तुम्हारा आंसू बिना तुमसे पूंछे चल दिया हो!
अगर तुमसे नज़रे मिला के सब कुछ बोल रहा हूँ मैं,
बिना कुछ सोचे मैं अपने राज खोल रहा हूँ मैं,
मेरा मानो सब कुछ सच आज बोल रहा हूँ मै,
तुम समझी हो, अपने साथ कैसा खेल खेल रहा हूँ मैं?
आज जो कुछ मैंने तुम्हें बताया है,
ये बहुत कम लोगों के ही समझ में आया है,
मुझे पढ़ना है मुश्किल, बहू कम लोगों ने ही पढ़ पाया है,
अब मत कहना, "और बताओ", मुझे जानना है,
क्यूंकि मेरे हर किस्से में बस मेरा खुद का खुद से भागना है!!
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क्या अब देर रात तक जागने वाले लड़के ने समय पर सोना -जागना सीख लिया है?
उसने अपने दोस्तों की जगह अपने काम को तवज्जो देना शुरू कर दिया!
बधाई हो 👏 तुम्हे मिल गया एक जिम्मेदार लड़का
खुश हो ना तुम सब???
पता है लड़के ने क्या खो दिया???
अपना बचपना 😩-
चारासाज़ों की चारा-साज़ी से, दर्द बदनाम तो नहीं होगा
हाँ दवा दो मगर ये बतला दो, मुझ को आराम तो नहीं होगा!
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