जो बदल जाओगे
तो बड़े याद आओगे तुम
मन के न होते हुए भी
बड़ा सताओगे तुम
कहना चाहूंगा
पर कह न पाऊंगा
जो तुम बदल जाओगे
तो बड़े याद आओगे तुम.....-
कि शब्दों का पूरा जाल लिए फिरता हूं।
केवल अल्फाजों को ही नहीं
दिल ... read more
हां,पता है मुझे
की मैं हर बार सही नहीं होता
हां,पता है मुझे
की मैं हर बार सही नहीं होता
पर ये छोटी मोटी गलतियां ही तो है
जो हमें हमसा बनाए रखता है
ये छोटी मोटी गलतियां ही तो है
जो हमें प्यार भरी नोक झोंक
और एक दूसरे के
करीब आने का मौका दे जाती है
चलो माना
कि मैं इस बार भी गलत हूं
चलो माना
कि मैं इसबर भी गलत हूं
पर मैं चाहूंगा
की वो तुम बनो जो मेरी गलतियों को बताए
वो तुम बनो जो मेरी गलतियों को सुधारे
वो तुम बनो जो मुझे
तुम्हारे मेरे जिंदगी में होने का अहसास दिलाए
वो तुम बनो जो मुझे मेरे वजूद से मिलाए
बस कह देना
मैं समझ जाऊंगा
गर जो न भी समझा तो
तो मुझे एक नन्हा बालक सा समझ लेना
और समझा देना
मैं समझ जाऊंगा।।-
बड़े अरसे बाद आज गुस्ताखी की चांद से नजरें मिलने की
मगर उनके उन निगाहों में वे कहीं नजर न आए.......-
शायद तुम्हें पता नहीं
पर तुम्हारी बातें कभी-कभी
मेरी वजूदगी पे सवाल खड़े कर देते है
तुम्हारी जिंदगी में.....-
थोड़ा अजीब है
पर तुम्हारे लिए
कुछ लिखना चाहते थे
इसलिए नहीं की मैं
कुछ न कुछ लिखता रहता हूं
बल्कि इसलिए क्योंकि
आज मैं तुम्हारे लिए लिखना चाहता था
नह वजह कुछ नहीं है
बस नया साल है
मौका है
दस्तूर है
पर जाने क्यों कुछ कमी सी है आज
कुछ तो है जो आड़े आ रही है बार-बार
वरना ऐसा तो कभी न हुआ
कि मैं घंटो बैठा रहा अपनी कलम लिए
शायद वजह तुम हो
या फिर शायद मेरी नजरों से ओझल होती
तुम्हारी धुंधली सी याद
खेर जो भी हो
पर वजह तुम ही हो
इस मुस्कान के
जो मेरे चेहरे पे झलक रही इसे लिखते हुए।-
हाल ये रहा
कि हम ताकते रहे रात भर उसे अपनी यादों में,
मगर ना वो दिखी ना ही उसकी कोई आहट
इस रात भर की यादों में....-
तेरे प्रेम के गलियारे से होके
मुझे तेरे प्रेम द्वार तक जाने दे,
तेरे प्रेम रस से भीगना चाहता हूं
तू मुझे प्रेम का मजा जी भर लेने दे।-
इरादा तो ना था
तुमसे यूं दिल लगाने का
मगर इन बहते
जस्बातों को रोकना गवांरा था मुझे
अब तो मानो
हाल-ए-दिल ये है
कि बस बहते चले बहते चले
हर सुख दुख को हम
एक दूजे संग बांटते चले
खुशियों के पलों में संग मुस्कुराएं
तो दुख के छणों में
कुछ नीर मोतियां हम भी बहाए
क्यों ना अब हम-तुम
उस आखरी छोर तक
जहां तक ये जस्बातों की नदी जाती है
चलो ना हाथों में हाथ लिए
एक दूजे का साथ लिए
चलते चले चलते चले चलते चले...........-
निगाहें, निगाहें तक ही सिमट के रेह जायेगी,
और जाने वक्त किसे किस मोड़ पे छोड़ आएगी।।-