ये माना के तुमसे,
खफा है ज़रा हम।
मगर ज़िन्दगी से भी रूठे हुए है।।-
किसी ने सही है कहा है:-
कि चुप रहो तो लोग बोलने की हद्द भूल जाते है😀-
बादलों के पीछे जैसे
चांद हो छुपा हुआ,
एक चेहरे के पीछे जैसे
एक ओर हो तपा हुआ,
ये दुनिया ये लोग मुझे पहचान ना ले
तो सोचा क्यू ना एक और पहचान बना ना ले,
अपनी हसरतों से खुद ही डर के,
मै हो गई जिंदा, थोड़ा सा मर के।
आंसूओं को मुस्कुराहट में बदलकर फस गई कुछ झूठ के दल दल मे,
मेरे गीत से बात कर लेती हूं कभी
कहती हूं उनसे मेरी ये अनकही।
सोचती हूं अगर ऐसा कोई हो कहीं,
समझे जो मेरी ये खामोशी।।
सपनो को देख ले मेरे अपनी आंखों से,
लफ्जो को मेरे केह दे अपनी बातों से।।
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कभी यूंही जब हुई बोझल सांसे
भर आईं बैठे बैठे जब यूंही आंखें।
कभी मचल के प्यार से चल के
छुए कोई मुझे पर नजर ना आए,
नजर ना आए।।-
कल कोई मुझको याद करे,
क्यों कोई मुझको याद करे
मसरूफ ज़माना मेरे लिए,
क्यों वक्त अपना बरबाद करे!!-
कल नई कोंपलें फूटेंगी, कल नए फूल मुस्काएंगे
और नई घास के नए फर्श पर नए पांव इठलाएंगे!
वो मेरे बीच नहीं आए, मैं उनके बीच में क्यों आऊं
उनकी सुबह और शामों का मैं एक भी लम्हा क्यों पाऊँ!
पल दो पल मेरी हस्ती है
पल दो पल मेरी रवानी है।।
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हमारे समाज के लोग जिन्होंने सीता माता तक को छोड़ा,
वो लोग बाकी औरतों के character को खराब करने से पहले क्यों एक पल के लिए भी सोचेंगे।
सच ही कहा था सीता माता ने इस जगत में औरतों का मान नहीं होता।।-