वो जाते हुए मुझे कभी पलट कर नहीं देखता था
शायद उसे मेरे रोकने की कोशिशे नहीं दिखती थी
उसे आ जाती थी सुकून की नींद हर झगड़े के बाद
ना जाने फिर क्यों मेरे शहर में उस दिन बारिश संग बिजली कड़कती थी-
कल मिले न मिले पर आज अभी मिलने वाला मौका हूँ
तेरी चर्चा
मेरी मुस्कान....
तेरा नाम
मेरी पहचान....
और क्या सबूत
तुझसे इश्क़ का
आ कर ले इज़हार
ओ मेरी जान....-
क्या खूब रात बदनाम हैं अंधेरों के वास्ते
किसे पता कितनो के गुम छुपाया हैं उसने
महसूस हुआ की रात मे भी रौशनी होती हैं
जब एक रात जागकर बितायी हमने-
इस साल तिरंगा हाथ में नहीं फहराने को
रंग हरा, रंग सफ़ेद, रंग केसरी साथ हैं
जल्द आजाद होंगे हम सब इस महामारी से
अपने देश और देशवाशियों पे, मुझे पूरा विश्वास हैं-
बाकी सब मैं अपनी मेहनत से कमाना चाहूंगा
बस एक उसे किस्मत से पाना चाहूंगा-
बाकी सब मैं अपनी मेहनत से कमाना चाहूंगी
बस एक उसे किस्मत से पाना चाहूंगी-
गैरों के ऐब से फर्क नहीं मुझे
तेरे लगाए हुए इल्जाम तीर से चुभते हैं-
आलम दिलो का देखो तो साहब
आलम दिलो का देखो तो साहब
किसी के शहर में सुनहरी धूप खिली हैं
तो किसी के शहर में बेइंतेहा बारिशें हो रही हैं-
ख़यालात उसके बड़े ज़िद्दी हैं
उसने ना सोचने के ख्याल में भी उसका ख्याल आ रहा हैं-
इश्क़ अगर ज़िन्दगी हैं
तो मुझे मरना मंजूर हैं
इश्क़ अगर दुआ है
तो मुझे बद-दुआएं क़ुबूल हैं
इश्क़ अगर सहूलियत हैं
तो बिगाड़ना मेरा गुरुर हैं
इश्क़ अगर सुकून हैं
तो दहशत मेरा उसूल हैं
इश्क़ अगर सजा हैं
तो मेरा ये दिल बेक़सूर हैं
इश्क़ अगर वफ़ा हैं
तो रहने दो ये बाते बे-फ़िज़ूल हैं-