अब ये ना पूछना कि,
ये अल्फाज कहां से लाती हूं ,
कुछ चुराती हूं दर्द दूसरों के ...
कुछ अपना हाल सुनाती हूं...-
ना तेरी ख्वाहिश बनना है, ना तेरी ज़रूरत
मुझे तो बस तेरे सुकून की वजह बनना है..
अब ये ना पूछना कि,
ये अल्फाज कहां से लाती हूं ,
कुछ चुराती हूं दर्द दूसरों के ...
कुछ अपना हाल सुनाती हूं...-
बहुत मुश्किल है समेटना,
बातें हो...
रिश्ते हो....
या फिर टूटा दिल...-
आगाज़ तो सभी अच्छा करते है,
मसला तो बस आखरी तक रहने का होता है...-
तुम्हारा भी चले जाना,
कोई ख़ास बात न थी मेरे लिए...
मेरे लिए रुकने वालों में,
हमेशा ही मैं अकेली थी ...-
खुद खुशी जुर्म भी है,
और सब्र की तौहीन भी है...
इसलिए इश्क में मर मर के जिया जाता है...-