तू उठ, तू चल
तू फिर अपनी राह पे निकल।
तू जीत की तलाश में ,
हार की हताश से ,
खुद को जरा तराश ले।
जो गिरे नही तो जीत क्या ,
वो लक्ष्य हीं क्या जो डर गया ।
वो लक्ष्य क्या के जिसमे उसको पाने की तलब नही,
उस हार से कहीं ज्यादा जीत की खुशी होगी।
तू उठ, तू चल
तू चलता ही जा
तू फिर अपनी राह पे निकल जा
रुकना नही के जब तक हो मंजिल तेरे पास नही
जो लौटने का दिल करे,
तो होना तुम निराश नही
बस मूर के देख लेना तुम अपने ही पग चिन्हों को,
उन रास्तों को जिनपे अब तक कहीं थे तुम चले।
जो गिरोगे नही तो फिर तुम चलना कैसे सीखोगे,
जो गिर के उठ गए तो फिर बस तुम ही जीतोगे।
तो चलते जाओ के जब तक जीत तेरे पास नहीं
उस हार से कहीं ज्यादा जीत की खुशी होगी।
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Born on 14 May
You don't have to be great to start but start to be great
माटी का तो तन है प्यारे,
माटी में मिल जाओगे
रह जाएँगी ये गलियां-चौबारें
रह जायेंगे ये लोग-बाग,
प्राण-पखेरू उड़ते ही
अगले क्षण तुम लाश कहलोगे
माटी का ही तन है प्यारे,
माटी में ही मिल जाओगे
राम नाम सत्य के बोल पे
अपने ही जला या दफना जायेंगे
जीवन भर जिसके पीछे भागे
उनमें से कुछ भी ना लेजा पाओगे,
रिश्ते-नाते तो छूटेंगे ही
शरीर भी रह जायेगा,
जीवन भर जो जिये
वो यादें तक ना लेजा पाओगे,
माटी का ये तन है प्यारे
माटी में मिल जाओगे
माटी में मिल जाओगे|-
आज फिर उड़ते हैं,
चल एक नयी उड़ान भरते हैं|
कल गिरे थे तो क्या हुआ ?
आज गिर कर उठना सीखते हैं|
कल की कमियों को,
आज अपनी ताकत बनाकर
चल एक नयी उड़ान भरते हैं
आज फिर उड़ते हैं|
चल, उठ
अब कली से फूल बनते हैं|
बून्द से नदी बनने के सफर को,
फिर से तय करते हैं|
चल एक नयी उड़ान भरते हैं
आज फिर उड़ते हैं|
चल आज फिर से कोशिश करते हैं,
इस हार से तब तक लड़ते हैं,
जब तक जीत नहीं जाते|
चल आज हार को हराते हैं,
आज जीत को अपना मुकाम बनाते हैं|
चल एक नयी उड़ान भरते हैं
आज फिर उड़ते हैं|
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आना-जाना तो खेल है जीवन का ...
कौन इससे बच पाया...
सारी दुनिया है एक छलावा...
सब तो है बस मोह-माया...-
तू तो चला गया,
खुदा से आपकी आत्मा
की शांति की फरीयाद करेंगे।
यू खो देंगे आपको,
ये सोचा ना था।
हमने तो आपको अपना आदर्श माना था,
अभी तो आपको दुनिया को
बहुत कुछ दिखाना था।
तू तो चला गया,
हम तुम्हें याद करेंगे।
🙏🙏🙏
भाव पूर्ण श्रद्धांजली
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कोई कहे इसे विधि का विधान...
तो कोई इसे कर्म का खेल है कहता..
पर सच तो यही है जीवन का...
जो होना है..सो होकर रहता...-
कुछ मुनफरीद - सा है उनका रिश्ता,
उनके सामने सब लगता है फीका।
पहले अनजाने थे दोनों एक-दूजे के लिए,
अब है जान एक दूसरे के लिए।
न जन्म से, न खून का है उनका रिश्ता,
फिर भी उनका रिश्ता है सागर-सा गहरा ।
एक है उनमे बहुत सयानी,
तो दूजी है उसकी बहना रानी।-
मुस्कान है उसके चेहरे की पहचान,
वो अंदर से है बहुत नादाँ।
है वो एक अदनी- सी जान,
जिसे आफताब भी खुद करे सलाम।-
लग जा गले के फिर ये हसीं रात हो न हो,
शायद फिर इस जन्म में मुलाकात हो न हो।
आपके जैसा इस दुनिया में कोई दूसरा आये,
उसे बनाने की खुदा के मन में बात हो न हो।
लग जा गले के फिर ये हसीं रात हो न हो।-