एक लड़का है, बड़ा ही निराला,
कहता मुझे — “तू तो मेरी प्यारी बहना ।”
काम न उसको कोई और भाता,
ग्रुप छोड़ने में हरदम आगे रहता।
आध्यात्म की राह पे ध्यान लगाता,
पर सबकी खिचाई में भी रस पाता।
यहाँ कोई उसकी मैया है, तो कोई बहना,
हर रिश्ता उसमें है अपनापन का गहना।
कभी छोटी बात पे दिल दुखा लेता,
तो कभी बड़ी बात पर भी कुछ न कहता।
आदर करता सबका दिल से सच्चा,
पर दोस्तों को कुछ भी है कहता ।
एक सादगी, एक मस्ती उसके चेहरे पर झलके,
नादान-सा, पर दिल का सच्चा — सबके मन को भाए।
ऐसा वो लड़का, जो हँसी में भी सीख दे जाए,
दोस्ती निभाने का असली मतलब समझा जाए।
-
जो कर रहे हो, वही सपना था क्या कभी?
जैसी ज़िंदगी है अब,
क्या वैसी ही चाह थी तुम्हें तब?
क्या दिल में शांति है सच में,
या बस शोर को नाम दिया है "सुकून"?
क्या जो पाया है, वही खोया नहीं कहीं,
क्या ख़ुशी के पीछे छिपा है जूनून?
रात की ख़ामोशी में ज़रा ठहरो,
अपने मन की आवाज़ सुनो,
क्या ये राह तुम्हारी अपनी है,
या भीड़ के संग बस चल पड़े तुम यूँ ही?
कभी तो रूठो ज़रा हालात से,
कभी सवाल करो उन आदतों से,
कभी मुस्कुराओ बिन वजह,
फिर देखो, ज़िंदगी कैसी लगती है!-
एक लड़का है — छोटा-सा,
पर बातों में समझदार-सा।
थोड़ा नादान है, थोड़ा चुलबुला सा,
हर लम्हा जैसे उसका उजियारा सा।
बातें करता है बड़ी- बड़ी,
पर माँ से डरता है हर घड़ी।
सबका करता आदर गहरा,
पर बातों (मज़ाक) में भी है आगे सदा।
ग़ुस्सा उसका थोड़ा तेज़ सही,
पर रहता उससे कोसों दूर कही।
तर्क-वितर्क में निपुण बड़ा,
पर बिन रोशनी चिराग खाली खड़ा।
जल्द ही रोशनी आएगी,
फिर हम सब को पार्टी मिल जाएगी।-
धड़कता तो होगा दिल तुम्हारा भी
हमारी किसी बात पर ,
सांसें थमती तो होगी तुम्हारी भी
हमें एहसासों में याद कर।-
इश्क किया था दिल का चैन पाने को,
मगर हमें क्या पता था ये और बेचैन हो जाएगा।-
हर बार उसकी उड़ान को तहज़ीब में बाँधा गया,
हर चाहत को संस्कारों से मापा गया।
कहीं अधूरी ख्वाहिशें, कहीं बोझे फ़र्ज़ के,
औरत या बचपन — दोनों ही कैद हैं मर्ज़ के।
-
काश ये मुस्कान भी पेड़ों पर उगती,
फूलों की तरह खिलती और फिर महकती,
अपनी महक से सबको लुभाती,
जहाँ दुख आता, वहाँ ये मुस्कान पहुँच जाती।
न रहती किसी चेहरे पर उदासी का असर,
न होता दिल में तन्हाई का पहरा,
हर कोना खुशियों से भर जाता,
अगर मुस्कान भी कुदरत का हिस्सा बन जाता।
-
दर्द भी बेवजह परेशान हुआ
हमारी मुस्कुराहट देख कुछ हैरान हुआ
बहुत कोशिश की दर्द ने दर्द देने की
पर वो भी अब कुछ थका-सा हुआ।
अब आँसुओं से रिश्ता पुराना हुआ,
हर ज़ख्म अब बस एक अफ़साना हुआ,
कभी जो रुलाया करता था दिल को,
वो दर्द आज अपना दीवाना हुआ।
अब जीना भी कुछ आसान हुआ,
वक़्त भी थोड़ा मेहरबान हुआ,
सीखा हमने मुस्कुराहट में छिपाना,
जो कल तक बोझ था — अब गुमान हुआ।
-