बरामद हुई जब कुछ
चूड़ियां उनकी जेब से
मुझे भी अब कुछ गैर
अच्छे लगने लगे हैं-
तुम्हारा छुवन जैसे
सावन की फुहारे
दिल घबराता है भींगने से
लेकिन तर ब तर होने को
जी कहकहा मारता है
जाने कबतक ये सावन ठहरे
यौवन अपने माकूल दौड़े
मन मस्तिष्क तरों ताजा रहे
निर्झर आनंद विक्षिंद बहें
मेघों से आच्छादित अंबर
जब ललचाए धरती निरखे
अबकी सावन अपनी उर्वरता
प्यासी धरती क्यों ना परखे-
कोरी कल्पनाएं भी
खूब की मैं
जब कभी जी ना लगा
बहला लिया खुद को
उनके आगोश में देकर
सर्वस्व न्योछावर की
उम्मीद से अक्सर जी
कचोटता है
ये रातें जो ना रही
कहां जाऊंगी मैं
अपनी कल्पनाएं लेकर-
अक्सर रातों में मुहब्बत जवां होता है
आंखों का नशा होठों से बयां होता है
सुलगाए जाते है बदन बिस्तरों पर
बस हाथों में हाथ नया होता है-
आपके बाहों के घेरे से
सुंदर कोई कैद नही
गिरते हुए दुपट्टें को
जो संभाले
बढ़कर
उससे कोई मर्द नही।-
अंबानी पुत्तर की शादी
एक तो शादी में
इनवाइट नही किया
दूसरा सारे प्लान
महंगें कर दिया-
जो पूरी श्रद्धा भक्ति से
सावन की सोलह सोमवारी करे
महादेव मैं उसकी हो जाऊं
कही ऐसा ना हो की
फ्री में में किसी को मिल जाऊं-
क्या फायदा
YourQoute पर पड़े
सुंदर सुंदर गजलों का
जब BollyWood को
गाने टट्टी ही बनाना है।-