Anjali Narang   (नवaanjali)
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Joined 12 July 2018


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22 FEB AT 0:25

अक्सर मुझसे तुम्हारे बारे में पूछा जाता है कि “कौन हो तुम”?
जवाब बस इतना सा है कि मेरी कविता में जो अक्सर मिलता है “वो मौन हो तुम” |

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22 JAN AT 8:25

आज प्रभु श्री राम को जो सिंहासन पर बिठलाएँगे,
कैसे ना वो अपने फिर इस भाग्य पर इठलायेंगे,
ना जाने कितने वर्षों की तपस्या का ये फल है मिला,
कार सेवकों को ना अपने बलिदानों का आज गिला ।
उन्ही के बलिदानों का उत्तर आज ये हमने पाया है ,
सौभाग्यशाली हैं हम जो आज ये शुभ दिन आया है ॥
पीढ़िया गुज़र गई ये सुनते “मंदिर वहीं बनायेंगे “,
देखो देखो राम लला फिर राजा बन कर आयेंगे ।

हम ही हैं वो भाग्यशाली जो ये यतन निहारेंगें,
अपने हाथों से स्वागत को रास्ता बुहारेंगे ॥

फिर से कितनी भीलनी आँखें आज के दिन को तरसी होंगी,
राम लला के दर्शन पाकर ना जाने कितनी बरसी होंगी ।

हमें नहीं अंदाज़ा कोई बहती अश्रुधारों का,
भारत में गूंजते हुए जय-जय श्री राम के नारों का,
जब कहीं कोई सत्ता के मद में राम सेतु झुठलायेगा,
प्रत्युत्तर में ऐसा भव्य वो राम का मंदिर पाएगा ॥

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22 APR 2023 AT 0:40

बर्फ़ के जैसे सफ़ेद और कठोर दिल है तुम्हारा,
जब इस बार आओ तो कुछ ऐसे आना
चाहे ओलावृष्टि की तरह ही बरस जाना,
मगर जब महसूस होने लगे तपिश मेरे दिल की जमीं पर
तो बस पिघल जाना तुम ॥ ❤️

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20 APR 2023 AT 20:24

ये खुद्दारी ही थी के तुम्हें जाने दिया,
कि जो किसी का भी हो जाए, मेरा हो नहीं सकता।।

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13 APR 2023 AT 9:48

ये जो feeling है ना “लिखने” वाली,
ये जब आती है ना तो अपने साथ एक पूरा “सफ़र” लेकर आती है ।
फिर यहाँ अल्फ़ाज़ों के रास्ते पर मुसाफ़िर बनती हैं कुछ यादें, कुछ ग़म, कुछ साथ बिताये पल तो कुछ तुम्हारे बिना गुज़रे कल ।

ऐसा लगता है जैसे रास्ता छोटा पड़ जाएगा इन्हें समेटने के लिए ।

कि फिर अचानक ही कहीं मसरूफ़ ज़िंदगी में ज़िम्मेदारियों का शोर हावी होने लगता है और ये सफ़र फिर से कहीं अधूरा ही छूट जाता है दुबारा कभी पूरा होने के इंतज़ार में ॥

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26 AUG 2022 AT 23:54

नीर भरी आँखो से तुम्हारी,
व्यथित हुए मन से,
कुछ अनकहा सा जवाब उसने पाया तो होगा ।
उन बारिश की बूँदो ने बताया तो होगा ॥…….






Full piece in caption 👇🏻

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4 JUL 2022 AT 18:11

मैं पूछती हूँ पूर्णविराम बनोगे ?

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22 APR 2022 AT 14:33

एक दौर था जब ख़तों में अल्फ़ाज़ आया करते थे,
वो काग़ज़ नहीं ❤️ हुआ करता था,
जिसमें सिमट के सारे जज़्बात आया करते थे ॥

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22 JAN 2022 AT 12:50

असर कई दिनों तक रहा,
बसर तुम्हारे साथ कुछ पलों का था ❤

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10 NOV 2021 AT 19:31

तेरे तहफ्फुज़ में महफ़ूज महसूस करती हूँ,
तू बाहोँ की गिरफ्त में लेले तो सुकून आ जाए।।

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