आज प्रभु श्री राम को जो सिंहासन पर बिठलाएँगे,
कैसे ना वो अपने फिर इस भाग्य पर इठलायेंगे,
ना जाने कितने वर्षों की तपस्या का ये फल है मिला,
कार सेवकों को ना अपने बलिदानों का आज गिला ।
उन्ही के बलिदानों का उत्तर आज ये हमने पाया है ,
सौभाग्यशाली हैं हम जो आज ये शुभ दिन आया है ॥
पीढ़िया गुज़र गई ये सुनते “मंदिर वहीं बनायेंगे “,
देखो देखो राम लला फिर राजा बन कर आयेंगे ।
हम ही हैं वो भाग्यशाली जो ये यतन निहारेंगें,
अपने हाथों से स्वागत को रास्ता बुहारेंगे ॥
फिर से कितनी भीलनी आँखें आज के दिन को तरसी होंगी,
राम लला के दर्शन पाकर ना जाने कितनी बरसी होंगी ।
हमें नहीं अंदाज़ा कोई बहती अश्रुधारों का,
भारत में गूंजते हुए जय-जय श्री राम के नारों का,
जब कहीं कोई सत्ता के मद में राम सेतु झुठलायेगा,
प्रत्युत्तर में ऐसा भव्य वो राम का मंदिर पाएगा ॥
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