Give your blood a right direction 🧭
Let’s not shed it to grave a life but to SAVE a life 🩸-
मेरी रूह से मुलाक़ात करनी हो
तो अल्फ़ाज़ों से रूबरू हो लेना ।।
🌼🌻🌼
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9 माह अगर आप उन्हें अपने गर्भ में पाल लेंगी,
तो 9 महीनें वो अंतरिक्ष के बस यूहीं निकाल लेंगी-
इश्क़ है दुआओं में,
दिल की हर चोट पर मरहम लगाती,
इश्क़ है उन दवाओं में ॥
❤️-
थोड़ी self respect ज़रा बचा के रखना ॥
ज़िंदगी में कुछ लोग आयेंगे
तुम्हें अपनी मर्ज़ी से चलायेंगे
और तुम चलोगे भी, क्यूँकि उनका मान रखते हो
उनकी इज़्ज़त करना, मगर थोड़ा self respect ज़रा बचा के रखना।
वो ख़ुद का character बचाने के लिए
तुम्हारे चरित्र पर वार करेंगे
तुम्हारी आत्मा को छलनी हर बार करेंगे
उनकी कड़वाहट का भी स्वाद चखना
मगर थोड़ा self respect ज़रा बचा के रखना ।
तुमने तो मोहब्बत की है ना, तुम सह जाओगे
हर बार उनकी ग़लतियों के बावज़ूद भावनाओं में बह जाओगे
ग़र कभी ग़ुस्से में चले भी जाओ तो लौट आना
इतनी जल्दी ना थकना
मगर फिर भी थोड़ा self respect ज़रा बचा के रखना ।
बहुत बार लौटना - इस सफ़र में बहुत बार लौटना
मगर एक सीमा आएगी जब तुम्हें रुकना होगा
तुम्हें समझना होगा, ख़ुद को सुनना होगा
बहुत सम्भाला है तुमने इस रिश्ते को
इस बार उन्हें संभालने देना
बस इतना सा selfreapect ज़रा बचा के रखना ॥-
एक धागा प्यार वाला,
तुम्हें जोड़ता है विश्वास से,
“कोई है मेरे साथ” वाले एहसास से ।
एक धागा तकरार वाला,
खूब चिढ़ा कर तकरार भी करता है,
और ज़्यादा रूठ जाऊँ तो फिर प्यार भी करता है ।
एक धागा इनकार वाला,
“ये कौन है ? “ “यहाँ नहीं जाना” “ये नहीं करना” वाले इनकार भी करता है,
पर जब बात मेरी पसंद की हो तो मम्मी पापा को वो तैयार भी करता है ।
एक धागा त्योहार वाला,
मेरे हर त्योहार का साथी है वो,
मैं दूर हूँ उससे मगर मुझमें मुझसे ज़्यादा बाक़ी है वो,
पूरी दुनिया एक तरफ़ और वो एक तरफ़,
ये धागा है मेरे संसार वाला ॥
एक धागा प्यार वाला…….-
अक्सर मुझसे तुम्हारे बारे में पूछा जाता है कि “कौन हो तुम”?
जवाब बस इतना सा है कि मेरी कविता में जो अक्सर मिलता है “वो मौन हो तुम” |-
आज प्रभु श्री राम को जो सिंहासन पर बिठलाएँगे,
कैसे ना वो अपने फिर इस भाग्य पर इठलायेंगे,
ना जाने कितने वर्षों की तपस्या का ये फल है मिला,
कार सेवकों को ना अपने बलिदानों का आज गिला ।
उन्ही के बलिदानों का उत्तर आज ये हमने पाया है ,
सौभाग्यशाली हैं हम जो आज ये शुभ दिन आया है ॥
पीढ़िया गुज़र गई ये सुनते “मंदिर वहीं बनायेंगे “,
देखो देखो राम लला फिर राजा बन कर आयेंगे ।
हम ही हैं वो भाग्यशाली जो ये यतन निहारेंगें,
अपने हाथों से स्वागत को रास्ता बुहारेंगे ॥
फिर से कितनी भीलनी आँखें आज के दिन को तरसी होंगी,
राम लला के दर्शन पाकर ना जाने कितनी बरसी होंगी ।
हमें नहीं अंदाज़ा कोई बहती अश्रुधारों का,
भारत में गूंजते हुए जय-जय श्री राम के नारों का,
जब कहीं कोई सत्ता के मद में राम सेतु झुठलायेगा,
प्रत्युत्तर में ऐसा भव्य वो राम का मंदिर पाएगा ॥-
बर्फ़ के जैसे सफ़ेद और कठोर दिल है तुम्हारा,
जब इस बार आओ तो कुछ ऐसे आना
चाहे ओलावृष्टि की तरह ही बरस जाना,
मगर जब महसूस होने लगे तपिश मेरे दिल की जमीं पर
तो बस पिघल जाना तुम ॥ ❤️-
ये खुद्दारी ही थी के तुम्हें जाने दिया,
कि जो किसी का भी हो जाए, मेरा हो नहीं सकता।।-
ये जो feeling है ना “लिखने” वाली,
ये जब आती है ना तो अपने साथ एक पूरा “सफ़र” लेकर आती है ।
फिर यहाँ अल्फ़ाज़ों के रास्ते पर मुसाफ़िर बनती हैं कुछ यादें, कुछ ग़म, कुछ साथ बिताये पल तो कुछ तुम्हारे बिना गुज़रे कल ।
ऐसा लगता है जैसे रास्ता छोटा पड़ जाएगा इन्हें समेटने के लिए ।
कि फिर अचानक ही कहीं मसरूफ़ ज़िंदगी में ज़िम्मेदारियों का शोर हावी होने लगता है और ये सफ़र फिर से कहीं अधूरा ही छूट जाता है दुबारा कभी पूरा होने के इंतज़ार में ॥-